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________________ [ २६ ] शुद्धात्मा और कर्मरूपी पच्चड़ 'स्वरूपज्ञान' प्राप्त होने के बाद फिर बाकी क्या बचा? सभी में शुद्धात्मा दिखता है, खुद में शुद्धात्मा दिखता है, तब फिर बाकी क्या बचा? कर्मरूपी पच्चड़ (मकान या फर्नीचर बनाते समय दो चीज़ों के बीच जगह रखने के लिए उपयोग किया जानेवाला बाँस का टुकड़ा; अड़चन; रुकावट)। खुद परमात्मा हो गए, सबकुछ जानते हैं, परंतु क्या होता है ? तब कहे कि कर्मरूपी पच्चड़ बाधक हैं । कर्मरूपी पच्चड़ किससे निकलेगी? 'फाइल' का समभाव से निकाल करने से राग-द्वेष किए बिना आ पड़ी फाइलों का समभाव से निकाल करना, वही उसका, कर्मरूपी पच्चड़ को निकालने का उपाय है। पच्चड़ की सभी क्रियाएँ हमसे हो सकती हैं । अरे, यदि किसी को अपना हाथ भी लग जाए, फिर भी राग-द्वेष नहीं होते । 'फाइल' आने से पहले ही आपने निश्चित किया होता है कि इसका समभाव से निकाल करना है। खुद के पूर्व में लिखे हुए बहीखाते, वही कर्मरूपी पच्चड़ कहलाते हैं । कर्मरूपी पच्चड़ जिस समय घेर लेती है न, उस घड़ी बेकार ही आपको उलझाती रहती है। उसे आप 'जानो' कि आज इसने चंदूभाई को बहुत उलझाया । क्या आपको पता नहीं चलेगा? सबकी कर्मरूपी पच्चड़ अलग-अलग होती हैं या एक ही प्रकार की? अलग-अलग होती हैं। क्योंकि सबके चेहरे अलग-अलग तरह के होते हैं। ये माँजी, इन बहन को सिखलाने जाएँ, तो वह कैसे हो सकेगा? दादाजी समझ जाते हैं कि माँजी में यह पच्चड़ है और बहन में यह पच्चड़ है। हमें तो उसका भी पता चल जाता है कि किस वजह से इन लोगों की कर्मरूपी पच्चड़ उत्पन्न हुई है। वह तो उस व्यक्ति का निरीक्षण करके
SR No.030017
Book TitleAptavani Shreni 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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