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________________ १४२ आप्तवाणी-५ यह अनाज है, वह तीन से पाँच वर्षों में निर्जीव हो जाता है, फिर उगता नहीं है। हर ग्यारहवें वर्ष में पैसा बदलता है। पच्चीस करोड़ का आसामी हो, परन्तु ग्यारह वर्ष तक उसके पास यदि एक आना भी नहीं आया हो तो वह खतम हो जाएगा। जैसे इन दवाईयों की एक्सपायरी डेट लिखते हो वैसे ही इस लक्ष्मी की ग्यारह वर्ष की एक्सपायरी डेट होती है। प्रश्नकर्ता : पूरी ज़िन्दगी लोगों के पास लक्ष्मी रहती है न? दादाश्री : आज १९७७ का वर्ष हुआ, तो आज आपके पास १९६६ की लक्ष्मी नहीं होगी। प्रश्नकर्ता : ग्यारह वर्ष का यह नियम कहाँ से आया? दादाश्री : जैसे इन दवाईयों में दो वर्ष की एक्सपायरी डेट होती है, छह महीने की होती है, अनाज की तीन वर्षों की होती है वैसे ही लक्ष्मीजी की ग्यारह वर्ष की होती है। लक्ष्मीजी जंगम (चंचल) कही जाती हैं। २०० वर्ष पहले के बनिये थे, उनके पास लाख रुपये होते तो पच्चीस हज़ार की जायदाद ले लेते थे, पच्चीस हज़ार का सोना और जेवर ले लेते थे, पच्चीस हज़ार किसी जगह पर सर्राफ के वहाँ ब्याज में रखते थे और पच्चीस हज़ार व्यापार में डाल देते थे। व्यापार में ज़रूरत पड़े तो पाँच हज़ार ब्याज पर ले आते थे। यह उनका सिस्टम था। तब वे किस तरह जल्दी दिवालिया हो जाते? चारों तरफ चार कीलें गाड़ दीं! आज के बनिये को तो ऐसा कुछ आता ही नहीं! कोई बाहर का व्यक्ति मेरे पास व्यावहारिक सलाह लेने आए कि, 'मैं चाहे जितना उठापटक करूँ फिर भी कुछ होता नहीं है।' तब मैं कहूँगा, 'अभी तेरा उदय पाप का है। तू किसीके यहाँ से उधार के रुपये लाएगा तो रास्ते में तेरी जेब कट जाएगी! इसलिए अभी तू घर बैठकर चैन से जो शास्त्र पढ़ता हो, वह पढ़ और भगवान का नाम लेता रह।' प्रश्नकर्ता : पुण्य-पाप के ही अधीन होता है, तो फिर 'टेन्डर' भरने
SR No.030016
Book TitleAptavani Shreni 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2011
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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