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________________ व्यवहार करना चाहिए। मान भंग हो जाए तो स्त्रियों उसे मरते दम तक भी नहीं भूलती और रीस रखती हैं। और साथ ही स्त्रियाँ देवी भी हैं। बगैर स्त्रीवाले पुरुष का संसार सुशोभित नहीं होता। स्त्री-पुरुषों को एक दूसरे के डिपार्टमेन्ट में ज़रा-सा भी हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। 'घर में किस चीज़ की कमी है, क्यों अधिक खर्च हो गया' पुरुष को स्त्री से ऐसा नहीं पूछना चाहिए। और स्त्री को भी पुरुष से 'व्यापार में क्यों घाटा हुआ', ऐसा नहीं पूछना चाहिए। और एक-दूसरे की भूलों को बड़ा मन रखकर निभा लेना चाहिए। स्त्री को कभी भी मारना नहीं चाहिए, अनंत जन्मों तक भटकने का कारण है वह ! अपने आश्रय में आए हुए को कैसे कुचल सकते हैं?! घर के लोगों को थोड़ा-सा भी दुःख नहीं दे, वही सचमुच में समझदार है। शादी करने के लिए योग्य पात्र को पसंद करने में आजकल के लड़के-लड़कियाँ जो चूंथामण(बारबार पसंद नापसंद करते हैं, मीनमेख निकालते हैं) करते हैं, उसे क्या शादी करने का तरीक़ा कहेंगे? वास्तव में तो लड़का और लड़की को देखते ही आकर्षण हो जाए तो अवश्य ही पक्का ऋणानुबंध है। और आकर्षण नहीं हो तो बंद रखना। उसमें ऊँची, नीची, मोटी, पतली, गोरी, काली का स्थान ही कहाँ रहता है? पूज्य दादाश्री कॉमनसेन्स की परिभाषा देते हैं कि, 'एवरीव्हेर एप्लीकेबल, थ्योरिटिकली एज़ वेल एज़ प्रेक्टिकली!' ताला भले ही कितना भी जंग लगा हुआ हो फिर भी चाबी डालते ही खुल जाए उसका नाम 'कॉमनसेन्स'। 'कॉमनसेन्स'वाले कहीं भी, घर में या बाहर मतभेद नहीं पड़ने देते। ऐसा तो शायद ही कोई होगा। पूरी ज़िन्दगी पत्नी को सीधी करने में बीत गई और जब मरने तक सीधी हुई, तब अगले जन्म में दूसरे के हिस्से में चली जाती है! कर्म अलग हैं इसलिए बिछड़ ही जाएँगे न! यह क्या हमेशा का साथ है?! एक जन्म जितना ही है न! इसलिए जो मिला उसके साथ 'एडजस्ट' कर लेना। जितने 38
SR No.030015
Book TitleAptavani Shreni 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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