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________________ २५४ आप्तवाणी-३ प्रश्नकर्ता : सभी हमें सीधा करने आए हों, ऐसा लगता है। दादाश्री : तो सीधा करना ही चाहिए आपको। सीधा हुए बिना दुनिया चलेगी नहीं न? सीधे नहीं होंगे तो बाप किस तरह बनोगे? सीधा होगा तो बाप बनेगा। शक्तियाँ खिलानेवाला चाहिए। यानी स्त्रियों का दोष नहीं है, स्त्रियाँ तो देवियों जैसी हैं। स्त्रियों और पुरुषों में, वे तो आत्मा ही हैं, केवल पेकिंग का फर्क है। डिफरन्स ऑफ पेकिंग। स्त्री, वह एक प्रकार का 'इफेक्ट' है, इसलिए आत्मा पर स्त्री का 'इफेक्ट' बरतता है। उसका ‘इफेक्ट' अपने ऊपर नहीं पड़े, तब सही है। स्त्री, वह तो शक्ति है। इस देश में कैसी-कैसी स्त्रियाँ राजनीति में हो चुकी है! और इस धर्मक्षेत्र में जो स्त्री पड़ी, वह तो कैसी होती है? इस क्षेत्र से जगत् का कल्याण ही कर डाले। स्त्री में तो जगत् कल्याण की शक्ति भरी पड़ी है। उसमें खुद का कल्याण करके और दूसरों का कल्याण करने की शक्ति है। प्रतिक्रमण से, हिसाब सब छूटे प्रश्नकर्ता : कुछ लोग स्त्री से ऊबकर घर से भाग छूटते हैं, वह कैसा है? दादाश्री : ना, भगोड़े क्यों बनें? आप परमात्मा हैं। आपको भगोड़ा बनने की क्या ज़रूरत है? आपको उसका समभाव से निकाल कर देना है। प्रश्नकर्ता : निकाल करना है, तो किस तरह से होता है? मन में भाव करना कि यह पूर्व का आया है? दादाश्री : इतने से निकाल नहीं होता। निकाल मतलब तो सामनेवाले को फोन करना पड़ता है, उसके आत्मा को खबर देनी पड़ती है। उस आत्मा के पास, हमने भूल की है ऐसा कबूल-एक्सेप्ट करना पड़ता है। मतलब बड़ा प्रतिक्रमण करना पड़ता है।
SR No.030015
Book TitleAptavani Shreni 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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