________________
आप्तवाणी-३
२५३
हैं कि कोई उसकी पत्नी का हाथ पकड़े तो उसे विनती करता है 'अरे, छोड़ दे। मेरी बीवी है, बीवी है।' 'घनचक्कर, इसमें तू उससे विनती कर रहा है? कैसा घनचक्कर पैदा हुआ है?' उसे तो मार, उसका गला पकड़ और काट खा। ऐसे उसके पैर पड़ रहा है! वह छोड़ दे, ऐसी जात नहीं है। तब वह, 'पुलिस, पुलिस, बचाओ, बचाओ।' करता है। 'अरे! तू पति होकर 'पुलिस, पुलिस' क्या कर रहा है? पुलिस का क्या करेगा? तू जीवित है या मरा हुआ है? पुलिस की मदद लेनी हो तो तू पति मत बनना।
घर का मालिक 'हाफ राउन्ड' चलेगा ही नहीं, वह तो 'ऑल राउन्ड' चाहिए। कलम, कड़छी, बरछी, तैरना, तस्करी और विवाद करना ये छहों। छः कलाएँ नहीं आती तो वह मनुष्य नहीं। चाहे जितना गया-बीता मनुष्य हो तब भी उसके साथ एडजस्ट होना आए, दिमाग खिसके नहीं, तब काम का! भड़कने से चलेगा नहीं।
जिसे खद अपने पर विश्वास है उसे इस जगत् में सभीकुछ मिले ऐसा है, लेकिन यह विश्वास ही नहीं आता न! कुछ लोगों को तो यह भी विश्वास उड़ गया होता है कि 'यह वाइफ साथ में रहेगी या नहीं रहेगी? पाँच साल निभेगा या नहीं निभेगा?' 'अरे, यह भी विश्वास नहीं?' विश्वास टूटा मतलब खत्म। विश्वास में तो अनंत शक्ति है। भले ही अज्ञानता में विश्वास हो। 'मेरा क्या होगा?' हुआ कि खत्म! इस काल में लोग हकबका गए हैं और कोई दौड़ता-दौड़ता आ रहा हो और उसे पूछे कि, 'तेरा नाम क्या है?' तो वह हकबका जाता है।
___भूल के अनुसार भूलवाला मिले प्रश्नकर्ता : मैं वाइफ के साथ बहुत एडजस्ट होने जाता हूँ, लेकिन हुआ नहीं जाता।
दादाश्री : सब हिसाबवाला है ! टेढ़े पेच और टेढ़ा नट, वहाँ सीधा नट घुमाएँ तो किस तरह चले? आपको ऐसा होता है कि यह स्त्री जाति ऐसी क्यों? लेकिन स्त्री जाति तो आपका 'काउन्टर वेट' है। जितना अपना टेढ़ापन उतनी टेढ़ी। इसीलिए तो सब 'व्यवस्थित' है, ऐसा कहा है न?