SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 250
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आप्तवाणी-३ २०१ हिन्दू बिताते हैं जीवन क्लेश में! लेकिन मुसलमान तो ऐसे पक्के कि बाहर झगड़कर आएँ, लेकिन घर में बीवी के साथ झगड़ा नहीं करते। अब तो कई मुस्लिम लोग भी हिन्दुओं के साथ रहकर बिगड़ गए हैं। लेकिन हिन्दू से भी ज्यादा इस बारे में मुझे तो वे लोग समझदार लगे। अरे कुछ मुस्लिम तो बीबी को झूला भी झुलाते हैं। हमारा कॉन्ट्रैक्ट का व्यवसाय, उसमें हमें मुसलमान के घर भी जाने का होता था, हम उसकी चाय भी पीते थे! हमें किसी के साथ जुदाई नहीं होती। एक दिन वहाँ गए हुए थे, तब मियाँभाई बीबी को झूला डालने लगा। तब मैंने उससे पूछा कि आप ऐसा करते हो तो वह आपके ऊपर चढ़ नहीं बैठती? तब वह कहने लगा कि वह क्या चढ़ बैठनेवाली थी? उसके पास हथियार नहीं, कुछ नहीं। मैंने कहा कि हमारे हिन्दुओं को तो डर लगता है कि बीवी चढ़ बैठेगी तो क्या होगा? इसीलिए ऐसे झूला नहीं डालते। तब मियाँभाई बोलते हैं कि यह झूला डालने का कारण आप जानते हैं? मेरे तो ये दो ही कमरे हैं। मेरे पास कोई बंगला नहीं, ये तो दो ही कमरे हैं और उसमें बीवी के साथ लड़ाई हो तो मैं कहाँ सोऊँगा? मेरी सारी रात बिगड़ेगी। इसलिए मैं बाहर सबके साथ लड़ आता हूँ लेकिन बीवी के साथ क्लियर रखता हूँ। बीवी मियाँ से कहेगी कि सुबह गोश्त लाने का कह रहे थे, तो क्यों नहीं लाए? तब मियाँभाई नक़द जवाब देता है कि कल लाऊँगा। दूसरे दिन सुबह कहता है, 'आज तो किधर से भी ले आऊँगा।' और शाम को खाली हाथ वापस आता है, तब बीवी खूब अकुलाती है लेकिन मियाँभाई खूब पक्के, तो ऐसा बोलते हैं, 'यार मेरी हालत मैं जानता हूँ!' वह ऐसे बीवी को खुश कर देता है, झगड़ा नहीं करता। और हमारे लोग तो क्या कहते हैं, 'तू मुझ पर दबाव डालती है? जा, नहीं लानेवाला।' अरे, ऐसा नहीं बोलते। उल्टे तेरा वजन टूटता है। ऐसा तू बोलता है, इसलिए तू ही दबा हुआ है। अरे, वह तुझे किस तरह दबा सकती है? वह बोले, तब शांत रहना, लेकिन कमज़ोर बहुत चिड़चिड़े होते हैं। इसीलिए वह चिढ़े, तब तुझे चुप रहकर उसकी रिकार्ड सुननी चाहिए। जिस घर में झगड़ा नहीं होता, वह घर उत्तम है। अरे झगड़ा हो लेकिन वापस उसे मना ले, तब भी उत्तम कहलाए! मियाँभाई को एक दिन खाने में टेस्ट नहीं आए तो मियाँ चिढ़ते हैं कि तू ऐसी है, वैसी है।
SR No.030015
Book TitleAptavani Shreni 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy