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________________ आप्तवाणी-३ जैसा है। स्प्रिंग दबाई हुई कितने दिन रहेगी? इसलिए सहन करना तो सीखना ही मत, सोल्युशन लाना सीखो। १८७ अज्ञान दशा में तो सहन ही करना होता है । फिर एक दिन स्प्रिंग उछले तो सब गिरा दे, लेकिन वह तो कुदरत का नियम ही ऐसा है। जगत् का ऐसा नियम ही नहीं है कि किसी के कारण आपको सहन करना पड़े। दूसरों के हिसाब से जो कुछ सहन करना पड़ता है, वह आपका ही हिसाब होता है। परंतु आपको पता नहीं चलता कि यह कौन-से खाते का, कहाँ का माल है? इसीलिए आप ऐसा समझते हैं कि 'इसने नया माल उधार देना शुरू किया।' नया कोई देता ही नहीं, दिया हुआ ही वापस आता है। अपने ज्ञान में सहन नहीं करना होता । ज्ञान से जाँच लेना चाहिए कि सामनेवाला ‘शुद्धात्मा' है। यह जो आया है वह मेरे ही कर्म के उदय से आया है, सामनेवाला तो निमित्त है। फिर यह ज्ञान इटसेल्फ ही पज़ल सॉल्व कर देगा। प्रश्नकर्ता : उसका अर्थ ऐसा हुआ कि मन में समाधान करना चाहिए कि यह माल था वह वापस आया ऐसा न? दादाश्री : वह खुद शुद्धात्मा है और उसकी प्रकृति है । प्रकृति यह फल देती है। हम शुद्धात्मा हैं, वह भी शुद्धात्मा हैं । अब दोनों को ‘वायर’ कहाँ लागू पड़ता है? वह प्रकृति और यह प्रकृति, दोनों आमने-सामने सब हिसाब चुका रहे हैं। उसमें इस प्रकृति के कर्म का उदय है इसलिए वह कुछ देता है। इसीलिए आपको कहना चाहिए कि यह अपने ही कर्म का उदय है और सामनेवाला निमित्त है, वह दे गया इसलिए अपना हिसाब चोखा हो गया। जहाँ यह सोल्युशन हो, वहाँ फिर सहन करने का रहता ही नहीं न? सहन करने से क्या होगा? ऐसा स्पष्ट नहीं समझाओगे तो एक दिन वह स्प्रिंग कूदेगी। कूदी हुई स्प्रिंग आपने देखी है? मेरी स्प्रिंग बहुत कूदती थी। कई दिनों तक मैं बहुत सहन कर लेता था और फिर एक दिन स्प्रिंग उछलती तो सभी उड़ाकर रख देता । यह सब अज्ञान दशा का, मुझे उसका खयाल है। वह मेरे लक्ष्य में है । इसलिए तो कह देता हूँ न कि सहन करना
SR No.030015
Book TitleAptavani Shreni 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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