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आप्तवाणी-३
आँख में कठोरता रखना। सख्ती से सामनेवाले को बहुत नुकसान नहीं होता, क्रोध करने से बहुत नुकसान होता है। सख्ती यानी क्रोध नहीं, लेकिन फुफकार। हम भी काम पर जाते हैं तब फुफकार मारते हैं। क्यों ऐसा करते हो? क्यों काम नहीं करते? व्यवहार में जिस तरह जिस भाव की ज़रूरत हो, वहाँ वह भाव उत्पन्न न हो तो वह व्यवहार बिगड़ा हुआ कहलाएगा।
एक व्यक्ति मेरे पास आया। वह बैंक का मेनेजर था। वह मुझसे कहता है कि मेरे घर में मेरी वाइफ को और बच्चों को मैं एक अक्षर भी नहीं कहता। मैं बिल्कुल ठंडा रहता हूँ। मैंने उनसे कहा, 'आप अंतिम प्रकार के बेकार मनुष्य हो। इस दुनिया में किसी काम के नहीं हो आप।' वह व्यक्ति मन में समझा कि मैं ऐसा कहूँगा, तब फिर ये दादा मुझे बड़ा इनाम देंगे। अरे बेवकूफ, इसका इनाम होता होगा? बेटा उल्टा कर रहा हो, तब उसे 'क्यों ऐसा किया? अब ऐसा मत करना।' ऐसे नाटकीय बोलना चाहिए। नहीं तो बेटा ऐसा ही समझेगा कि आप जो कुछ कर रहे हो वह करेक्ट ही है। क्योंकि पिताजी ने एक्सेप्ट किया है। ऐसा नहीं बोले, इसलिए तो सिर पर सवार हो गए हैं। बोलना सब है लेकिन नाटकीय! बच्चों को रात को बैठाकर समझाएँ, बातचीत करें, घर के सभी कोनों में कचरा तो साफ करना पड़ेगा न? बच्चों को ज़रा-सा हिलाने की ही ज़रूरत होती है। वैसे संस्कार तो होते हैं, लेकिन हिलाने की ज़रूरत होती है। उन्हें हिलाने में कोई गुनाह है?
प्रश्नकर्ता : दादा, मेरा बेटा पंद्रह सौ रुपये महीने कमाता है, मैं रिटायर्ड हूँ, उसके साथ रहता हूँ। अब बेटा और बहू मुझे टोकते रहते हैं कि आप ऐसा क्यों करते हो? बाहर क्यों जाते हो? इसलिए मैं उनसे कहनेवाला हूँ कि मैं घर में से चला जाऊँगा।
दादाश्री : खिलाते-पिलाते हैं अच्छी तरह से? प्रश्नकर्ता : हाँ, दादा।
दादाश्री : तब फिर 'चला जाऊँगा' ऐसा नहीं बोलते। और कभी कहने के बाद में नहीं जा पाएँ, तो अपने बोल खुद को ही निगलने पड़ेंगे।