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________________ आप्तवाणी - ३ १३९ न! शुद्ध हवा, शुद्ध पानी और रात को खिचड़ी मिल गई तो यह देह शोर मचाता है? नहीं मचाता । इसलिए ज़रूरतें क्या है, इतना निश्चित कर लो। जब कि ये लोग खास प्रकार की आइस्क्रीम ढूँढेंगे। कबीर साहब क्या कहते हैं? 'तेरा बैरी कोई नहीं, तेरा बैरी फ़ेल । ' अन्नेसेसरी के लिए बेकार ही भागदौड़ करता है, वही 'फ़ेल' कहलाता है। तू हिन्दुस्तान में रहता है और नहाने के लिए पानी माँगे तो हम तुझे फ़ेल नहीं कहेंगे? 'अपने फ़ेल मिटा दे, फिर गली-गली में फिर । ' इस देह की ज़रूरतें कितनी ? शुद्ध घी, दूध चाहिए। जबकि वे शुद्ध नहीं देते और पेट में कचरा डालते हैं । वे फ़ेल किस काम के ? ये सिर में क्या डालते हैं? शेम्पू, साबुन जैसा नहीं दिखता और पानी जैसा दिखता है, ऐसा सिर में डालेंगे। इन अक्ल के खज़ानो ने ऐसी खोज की कि जो फ़ेल नहीं थे वे भी फ़ेल हो गए ! इससे अंतरसुख घट गया ! भगवान ने क्या कहा था कि बाह्यसुख और अंतरसुख के बीच में पाँच-दस प्रतिशत फर्क होगा तो चलेगा, लेकिन यह नब्बे प्रतिशत का फर्क हो तब तो नहीं चलेगा। इतना बड़ा होने के बाद फिर वह फ़ेल होता है, मरना पड़ेगा । लेकिन ऐसे नहीं मरा जाता और सहन करना पड़ता है । ये तो केवल फ़ेल ही हैं, अन्नेसेसरी ज़रूरतें खड़ी करी हैं। एक घंटा बजार बंद हो जाए तो लोगों को चिंता हो जाती है ! अरे, तुझे क्या चाहिए कि तुझे चिंता होती है? तो कहे कि, मुझे ज़रा आइस्क्रीम चाहिए, सिगरेट चाहिए । यह तो फ़ेल ही बढ़ाया न? यह अंदर सुख नहीं है, इसीलिए लोग बाहर ढूंढते रहते हैं । भीतर अंतरसुख की जो सिलक थी, वह भी आज चली गई है। अंतरसुख का बैलेन्स मत तोड़ना । यह तो जैसे अच्छा लगे वैसे सिलक ( राहखर्च, पूँजी) खर्च कर डाली। तो फिर अंतरसुख का बैलेन्स ही किस तरह रहे ? नकल करके जीना अच्छा या असल? ये बच्चे एक-दूसरे की नकल करते हैं। हमें नकल कैसी? ये फॉरिन के लोग अपनी नकल कर जाते हैं । लेकिन ये तो फॉरिन के
SR No.030015
Book TitleAptavani Shreni 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2012
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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