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________________ १४२ आप्तवाणी-२ 'भुगते उसी की भूल'। तूने भुगता तो भूल तेरी। यह तेरी जेब कट गई और तू दूसरों को गालियाँ दे उससे तो भूल को एक्स्टेन्शन मिलता है। भूल जान जाती है कि यह तो हमें खिलाने-पिलाने की ही बात कर रहा है। फिर वह जाती नहीं। यदि कोई घर जला डाले तो लोग जलानेवाले को गालियाँ देते हैं, जबकि जलानेवाला तो घर पर आराम कर रहा होता है। यह तो खुद की ही भूल। इस समय कौन भुगत रहा है? उसकी भूल। __ "दादा' चोर हैं," यदि ऐसा मेरे कोट के पीछे लिखा हो तो वह भूल हमारी है। क्योंकि ऐसा तो कौन फालतू होगा ऐसा लिखने के लिए? और हमारे ही पीछे क्यों लिखा? इसलिए हम तुरंत ही भूल एक्सेप्ट करके निकाल कर देते हैं। यह कैसा है कि पहले भूलें की थीं उनका निकाल नहीं किया था, इसलिए वे ही भूलें फिर से आती हैं। भूलों का निकाल करना नहीं आया, इसलिए एक भूल निकालने के बजाय दूसरी पाँच भूलें की! संसार बाधक नहीं है, खाना-पीना बाधक नहीं है। न तो तप ने बाँधा है, न ही त्याग ने बाँधा है। खुद की भूलों ने ही लोगों को बाँधा है। अंदर तो अपार भूलें हैं। लेकिन मात्र बड़ी-बड़ी पच्चीसेक जितनी ही भूलें मिटा दे न तो छब्बीसवीं अपने आप जाने लगेगी। कुछ लोग तो भूल को जानते हैं, फिर भी खुद के अहंकार के कारण उसे भूल नहीं कहते। यह कैसा है? एक ही भूल अनंत जन्म बिगाड़ डालती है, ऐसा तो पुसाएगा ही नहीं। ___ ज्ञानीपुरुष में, देखी जा सकें वैसी स्थूल भूले नहीं होतीं। और सूक्ष्म भूलें भी नहीं होतीं। उनकी सूक्ष्मतर और सूक्ष्मतम भूलें होती हैं, लेकिन वे उनके ज्ञाता-दृष्टा रहते हैं। इन दोषों की आपको परिभाषा हूँ। स्थूल भूल यानी क्या? मुझसे कोई भूल हो जाए तो, यदि कोई जागृत व्यक्ति होगा तो वह समझ जाएगा कि इन्होंने कोई भूल की है। सूक्ष्म भूल यानी कि मान लो यहाँ पच्चीस हज़ार लोग बैठे हों तो मैं समझ जाता हूँ कि दोष हुआ, लेकिन उन पच्चीस हज़ार में से मुश्किल से पाँचेक लोग ही सूक्ष्म
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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