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________________ निज दोष १४३ भूल को समझ सकेंगे। सूक्ष्म दोष तो बुद्धि से भी देखे जा सकते हैं, जबकि सूक्ष्मतर और सूक्ष्मतम भूलें, वे तो ज्ञान से ही दिखती हैं। मनुष्यों को सूक्ष्मतर और सूक्ष्मतम दोष नहीं दिखते। देवी-देवता यदि अवधिज्ञान से देखें तभी उन्हें दिखते हैं। फिर भी वे दोष किसी को नुकसान नहीं पहुँचाते, वैसे सूक्ष्मतर और सूक्ष्मतम दोष मुझमें रहे हुए हैं। और वे भी इस कलिकाल की विचित्रता के कारण! ब्लंडर्स और मिस्टेक्स भूल एक नहीं है, अनंत हैं। खुद बंधा हुआ है ब्लंडर्स और मिस्टेक्स से। जब तक ब्लंडर्स नहीं टूटेंगे, तब तक मिस्टेक्स नहीं जाएँगी। प्रश्नकर्ता : ब्लंडर्स किसे कहते हैं? दादाश्री : 'मैं चंदूलाल हूँ' वही ब्लंडर है। हम 'स्वरूप ज्ञान' देते हैं, फिर ब्लंडर्स चले जाते हैं और मिस्टेक्स बचती हैं। वे भूलें फिर ज्ञेय स्वरूप में दिखती हैं। जितने ज्ञेय दिखें उतनों से मुक्त हो जाते हैं। ये प्याज़ की परतें होती हैं न, उसी तरह दोष भी परतोंवाले होते हैं। जैसे-जैसे दोष दिखते हैं, वैसे-वैसे उनकी परतें उखड़ती जाती हैं और जब उनकी सारी परतें उखड़ जाती हैं, तब वह दोष जड़-मूल से सदा के लिए बिदाई ले लेता है। कुछ दोष एक परतवाले होते हैं। उनकी दूसरी परत होती ही नहीं है, इसलिए उन्हें एक ही बार देखने से वे चले जाते हैं। अधिक परतोंवाले दोषों को बार-बार देखना पड़ता है और वे प्रतिक्रमण करने पर चले जाते हैं, तब जाते हैं और कुछ दोष तो इतने गाढ़े होते हैं कि उनका बार-बार प्रतिक्रमण करते रहना पड़ता है, तब लोग कहेंगे कि वही का वही दोष हो रहा है? तब कहें कि भाई! हाँ लेकिन उसका यह कारण उन्हें समझ में नहीं आता ! दोष तो परतों जैसे हैं, अनंत हैं। इसलिए जो-जो दिखें और उनके प्रतिक्रमण करें, तो शुद्ध होते जाएँगे। कृपालुदेव ने कहा है किः _ 'मैं तो दोष अनंत का भाजन हूँ करुणाल दीठा नहीं निज दोष तो तरीये कोण उपाय?' दोष अनंत हैं और वे दिखे नहीं हैं, इसलिए वे दोष जाते ही नहीं।
SR No.030014
Book TitleAptavani Shreni 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages455
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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