SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 248
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (245) इस आवश्यक में जो जैन तीर्थकरों की स्तुति का विधान किया है, उसका कारण यह है कि उनके गुणों का चिन्तन करके अपनी अन्तश्चेतना को जागृत करना चाहिये। . तीर्थंकर साधनामार्ग के आलोक-स्तम्भ है। जैसे आलोक-स्तम्भ जहाज का पथ प्रदर्शन करता है, पर चलने का कार्य तो जहाज का ही है। वैसे ही साधना की ओर प्रगति करना साधक का कार्य है। जैन दृष्टि से भक्ति का लक्ष्य अपने-आप का साक्षात्कार है। चतुर्विंशतिस्तव से अनेक लाभ है। उससे श्रद्धा परिमार्जित होती है, सम्यक्त्व विशुद्ध होता है। उपसर्ग और परीषहों को समभाव से सहन करने की शक्ति विकसित होती है और तीर्थंकर बनने की पवित्र प्रेरणा मन में उद्बद्ध होती है। इसलिए षडावश्यकों में तीर्थंकर स्तुति या चतुर्विंशतिस्तव को स्थान दिया गया। 3. वन्दन (गुणवत् प्रतिपत्ति) वन्दन अर्थात् गुरु उपासना। यह तीसरा आवश्यक है। साधना के क्षेत्र में तीर्थंकर के पश्चात् दूसरा स्थान गुरु का है। देव के पश्चात् गुरु को नमन किया जाता है। उनका स्तवन, अभिवादन किया जाता है। वन्दन मन, वचन और काया का प्रशस्त व्यापार है, जिसके द्वारा प्रथ-प्रदर्शक गुरु एवं विशिष्ट साधनारत साधकों के प्रति श्रद्धा और आदर प्रकट किया जाता है। वंदन किसे किया जाये ? आचार्य भद्रबाहू ने स्पष्ट रूप से निर्देश किया है कि "गुणहीन एवं दुराचारी अवंद्य व्यक्ति को वंदन करने से न तो कर्मों की निर्जरा होती है न कीर्ति ही। प्रत्युत् असंयम और दुराचार का अनुमोदन होने से कर्मों का बंध होता है। ऐसा वंदन व्यर्थ का कार्यक्लेश है। इसके अतिरिक्त यहाँ तक कहा गया है कि "जो व्यक्ति अपने श्रेष्ठ जनों से वंदन करवाता है, वह असंयम में वृद्धि करके अपना अध: पतन करता है। स्पष्ट है जैन परंपरा में चारित्र एवं गुणों से सुसंपन्न ही वंदनीय है। प्रत्येक आवश्यक के पूर्व एवं पश्चात् गुरु की वंदना अवश्यकरणीय बतलाई है। 1. आव. नि. 1108 2. आव. नि. 1109 3. उद्धृत-समाचारी
SR No.023544
Book TitlePanch Parmeshthi Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurekhashreeji
PublisherVichakshan Smruti Prakashan
Publication Year2008
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy