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________________ तृतीयोऽध्यायः । ६ ॥ ९ ॥ ११ ॥ गौ केत्कन्या ॥ ५ ॥ भ्गौ गिति पङ्किः ॥ त्यौ स्तस्तनुमध्या ॥ ७ ॥ शशिवदना न्यौ ॥ ८ ॥ विद्युल्लेखा मो मः ॥ त्सौ चेद्वसुमती ॥ १०॥ म्सौ गः स्यान्मदलेखा ॥ भौगिति चित्रपदा गः ॥ १२ ॥ मोमो गो गो विद्युन्माला ॥ १३ ॥ माणवकं भात्तलगाः ॥ १४ ॥ नौ गौ हंसरुतमेतत् ॥ १५ ॥ ज समानिका गलौ च ॥ १६ ॥ प्रमाणिका जरौ लगौ ॥ १७ ॥ वितानमाभ्यां यदन्यत् ॥ १८ ॥ रान्नसाविह हलमुखी ॥ १९ ॥ भुजगशिशुभृता नौ मः ॥ २० ॥ सौ जगौ शुद्धविराडिदं मतम् ॥ २१ ॥ नौ जगौ चेति पणवनामकम् ॥ २२ ॥ जौं रगो मयूरसारिणी स्यात् ॥ ३३ ॥ मौ सगयुक्तौ रुक्मवतीयम् ॥ २४ ॥ मत्ता ज्ञेया मभसगयुक्ता ॥ २५ ॥ नरजगैर्भवेन्मनोरमा ॥ २६ ॥ जौ जो गुरुणेयमुपस्थिता ॥ २७ ॥ स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः ॥ २८ ॥ उपेन्द्रवज्रा जतजास्ततो गौ ॥ २९ ॥ अनन्तरोदीरितलक्ष्मभाजौ ॥ पादौ यदीयावुपजातयस्ताः ॥ ३० ॥ इत्थं किलान्यास्वपि मिश्रितासु ॥ स्मरन्ति जातिष्विदमेव नाम ॥ ३१ ॥ नजजलगैर्गदिता सुमुखी ॥ ३२ ॥ दोधकवृत्तमिदं भभभाद् गौ ॥ ३३ ॥ शालिन्युक्ता स्तौ तगौ गोऽब्धिलौकैः ॥ ३४ ॥ वातोर्मीयं कथिता म्भौ तगौ गः ॥ ३५ ॥ ४ १९
SR No.023482
Book TitleVruttaratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKedar Bhatt, Narayan Bhatta, Vidyanatha Shastri
PublisherJai Krishna Das Hari Das Gupta
Publication Year1927
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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