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________________ भारतीय संवतों का इतिसास एक में संवत्सर बृहस्पति के 'सहसूर्योदय' से आरम्भ होता है तथा करीब ४०० सौर्य दिवसों का होता है । एक संवत्सर प्रत्येक १२ वर्षों में निष्कासित हो जाता है दूसरे में जिसका नाम हमने 'माध्य राशी व्यवस्था' रखा है । वर्ष ६० वर्षीय चक्र के वर्षों की लम्बाई के बराबर ही होते हैं व ठीक ६० वर्षीय चक्र वाले वर्ष के साथ ही आरम्भ होते हैं । दोनों प्रकार पुराने समय में प्रचलित थे । दूसरे वाले का प्रयोग आधुनिक दिनांकों के लिए किया जाता था विशेष रूप से कोलम सम्वत् के लिये ।" " २८ इस प्रकार बृहस्पति के ६० वर्षीय चक्र का १/५ भाग १२ वर्षीय चक्र है । इस १२ वर्षीय चक्र का १ / १२ वां भाग एक वर्ष कहलाता है । इसकी गणना का सिद्धान्त इस प्रकार है : "शक का समानवर्ष ढूढ़े, उसे २२ से गुणा करें तथा उसमें ४२६१ जोड़े, उसे १८७५ से भाग दें, भजन फल को बगैर भिन्न के शक वर्ष में जोड़े, योग को ६० से भाग दें, इससे बीते हुए चक्र निकल आयेगें और जो शेष बचेगा वह अगले चक्र के बीते वर्ष होंगे। इसी शेष को १२ से भाग देकर इससे १२ वर्षीय चक्र निकल आयेगें, तथा शेष बची संख्या पूर्ण वर्ष व उससे अगला चालू वर्ष होगा । " 2 उदाहरण – १६६ ई० = ८८ शक ८८ × २२ = १९३६+४२९१ ६२२७ : १८७५= ३ ३---८८=६१; ६१÷६०=१÷३१ ( शेष बचा ) ३१ ÷ १२=२ पूर्ण तथा ७ शेष इस प्रकार ८८ शक वर्ष बृहस्पति के १२ वर्षीय चक्र के २ पूर्ण चक्र तथा ७वें चालू वर्ष के बराबर है । परशुराम का चक्र परशुराम का सम्वत् १००० वर्षों का एक चक्र है । ऐसा माना जाता है। कि इसका आरम्भ ११७५, ३/४ अथवा ११७६ ई० पूर्व में हुआ । कर्नल वारेन का कथन है कि इसका प्रचलन प्रायः द्वीप ( भारत ) के दक्षिणी भाग तक ही १. राबर्ट सीवेल 'दि इण्डियन कलैण्डर' लन्दन, १८६६, पृ० ३७ २. एलेग्जेण्डर कनिंघम, 'ए बुक ऑफ इण्डियन एराज', वाराणसी, १९७६, पृ० २६
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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