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________________ काल गणना का संक्षिप्त इतिहास, इकाईयां व विभिन्न चक्र २६ सीमित था जिसमें मलयालम तथा ट्रावनकोर सहित कन्या कुमारी तक का प्रदेश सम्मिलित था। परशुराम चक्र के तीसरे चक्र का ९७७ वां वर्ष ३६७७ अश्विन प्रथम, १७२३ शक था तथा १४ सितम्बर, १८०० ई० से मेल खाता था। परन्तु कनिंघम का विचार है कि यह गलत है और यह १८०१ होना चाहिये जो शक १७२३ से मेल खाता है। कावसजी पटेल ने भी इसे वर्ष ६७७=१५ सितम्बर, १८०१ ई० माना है । कनिंघम का विचार है कि यह चक्र कोलम संवत् से संबन्धित है । इसे कोलम संवत् अथवा कोलम अंदु भी कहा जाता है । डा० वर्गीज ने इसे कोलम अंदु संवत् कहा है। इस लेख के अनुसार पिछला चक्र समाप्त होने पर नया चक्र २५ अगस्त, ८२५ ई० में आरंभ हुआ जवकि कावसजी पटेल ने यह तिथि उसी वर्ष की २६ अगस्त दी है। कलैण्डर सुधार समिति ने कोलम संवत् के दो रुपों का वर्णन किया है तथा इसका आरंभ ८२५ ई० से माना है। उत्तरी मालाबार में प्रचलित कोलम संवत् का आरंभ १७ सितंबर से होता था तथा यह "कन्यादी" था तथा कोलम संवत् का दूसरा रूप जिसको दक्षिण मालाबार में १७ अगस्त से ग्रहण किया गया "सीमहादी" था। कनिंघम ने परशुराम चक्र की प्रमुख तिथियां इस प्रकार दी हैं : चक्र तिथि प्रथम ११७६ ई० पूर्व द्वितीय १७६ ई० पूर्व तृतीय ८२५ ई. चतुर्थ १८२५ ई. यह संवत् उत्तरी भारत में कभी प्रयोग नहीं किया गया तथा ज्योतिषियों १. एलेग्जेण्डर कनिंघम, ‘ए बुक ऑफ इण्डियन एराज', वाराणसी, १९७६, पृ० ३३ २. 'रिपोर्ट ऑफ दि कलण्डर रिफोर्म कमेटी', दिल्ली, १९५५, पृ० २५८ ३. एलग्जेण्डर कनिंघम, "ए बुक ऑफ इन्डियन एराज," पृ० ३३
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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