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________________ भारतीय संवतों का इतिहास १५ अहोरात्र १ पक्ष २ पक्ष = १ मास २ मास = १ ऋतु विष्णुधर्मोत्तर के अनुसार समय के विभाग इस प्रकार है : १ लघु अक्षर उच्चारण १ निमेष २ निमेष १ त्रुटि १० त्रुटि १ प्राण ६ प्राण १ विनाडिका ६० विनाडिका १ नाड़ि का ६० नाडिका १ अहोरात्र ३० मुहूर्त १ अहोरात्र सूर्य व चन्द्र की गति के आधार पर समय की उपरोक्त इकाईयों का निर्धारण किया गया है । न केवल भारत के वरन् विश्व भर के पंचांग इन्हीं से सम्बन्धित गणनाओं पर आधारित है । सूर्य व चन्द्र की गति में बर्ष में कुछ दिनों का अन्तर रहता है। अतः अधिकांश पंचांग निर्माताओं ने दोनों की मिश्रित पद्धति चन्द्र सौर्य पद्धति का प्रयोग किया है । सूर्य के मेष से मीन तक १२ राशियों के योग को सौर वर्ष कहते हैं । सौर वर्ष बहुधा ३६५ दिन १५ घड़ी, ३१ पल व ३० विपल का माना जाता है। सौर वर्ष के १२ हिस्से किये जाते हैं, जिन्हें सौर मास कहते हैं । सौर मान में १२ संक्रान्तियां मानी गयी है परन्तु सौर्य मान के वर्ष की लम्बाई का विभिन्न ग्रन्थों में पृथक-पृथक उल्लेख है, जिससे इसकी सही गणना के संदर्भ में मतभेद हैं। सौर्यमान की त्रुटियों व अस्पष्टता के कारण भारत में चन्द्र सौर्य की मिश्रित पद्धति का विकास हुआ। वर्ष के दिनों तथा महीनों की लम्बाई निश्चित करने की दूसरी पद्धति चन्द्रमान अर्थात चन्द्रमा की गति से नियंत्रित होने वाली है । इसमें वर्ष में १२ चन्द्रमास होते हैं, जो क्रमशः ३० व २६ दिनों के होते हैं, अतः साधारण वर्ष ३५४ दिन का होता है, यह ३० वर्षीय चक्र है तथा इसमें २, ५, ७, १०, १३, १६, १८, २१, २४, २६ व २६ वां वर्ष लौंद के हैं, जिसमें अन्तिम महीना २६ १. राय बहादुर पंडित गौरीशंकर हीरानाथ ओझा, 'भारतीय प्राचीन लिपि माला', अजमेर, १६१८, पृ० १८६
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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