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________________ काल गणना का संक्षिप्त इतिहास, इकाईयाँ व विभिन्न चक्र १ दिन के स्थान पर ३० दिन का होता है तथा वर्ष ३५५ दिन का होता है । हिज्री सम्वत् इसी पर आधारित है । हिन्दुओं का चन्द्र सौर्य पंचांग गणना की विस्तृत पद्धति । यह चन्द्र तथा सौर्य मानों की मिश्रित पद्धति है । इसमें वर्ष सूर्य के अनुसार जबकि मास चन्द्र की गति से नियंत्रित होते हैं । इसमें १६ वर्षीय चक्र का प्रयोग होता है जो प्रायः चन्द्र के २३५ चक्करों के बराबर है अथवा चन्द्र की २६.५३०६ दिनों वाली परिक्रमा के बराबर है । चन्द्र व सौर्य के वर्ष में जो अन्तर रहता है उसके लिए इस पद्धति में लौंद का वर्ष रखा गया है । १६ वर्षीय चक्र में लौंद के माह रहते हैं' । उत्तरी भारत में चन्द्रसौयं वर्ष का आरम्भ चैत्र शुदी प्रथम अर्थात् नये चन्द्र से आरम्भ होता है । दिन रात माह, ऋतु, सप्ताह वर्ष आदि ऐसी इकाइयां हैं जो प्राचीन समय से आधुनिक समय तक भारतीय व अनेक विदेशी पंचांगों में सामान्य रूप से प्रयुक्त होती रही है तथा काल गणना का आधार रही है । इनमें प्रमुख इस प्रकार है : समस्त पंचांग व्यवस्था का मुख्य आधार दिन है । दिन के समूहों से बड़ी इकाईयों व दिन के बटवारे से समय की सूक्ष्म इकाईयों का निर्धारण किया गया । आधुनिक युग में दिन यद्यपि आधी रात से आधी रात तक नापे जाते हैं, परन्तु सदैव ऐसा नहीं था । " खगोल शास्त्री दूसरी सदी से १९२५ तक दिन की गणना दोपहर से दोपहर तक करते थे ।" प्राचीन काल में जब विश्व में विभिन्न स्थानों पर सभ्यताओं की आरम्भिक अवस्था थी, आवागमन के साधन सीमित थे तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान आरम्भ नहीं हुआ था तब दिन की गणना के लिए भिन्न-भिन्न पद्धतियां प्रयोग की जाती थीं । " आदि मानव समाज में प्रातः से प्रातः तक दिन की गणना की जाती थी । बेबीलोन व ग्रीस वासी इसी पद्धति का प्रयोग करते थे, सूर्योदय से सूर्योदय तक का एक दिन माना जाता था । मिश्र ने आधी रात से आधी रात तक दिन की गणना की, इटलीवासियों व यहूदियों ने सूर्यास्त से सूर्यास्त तक दिन की गणना की । 3. १. एलेग्जेण्डर कनिंघम, 'ए बुक ऑफ इण्डियन एराज', वाराणसी, १६७६, पृ० ६१ २. इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनका, वोल्यूम - तृतीय, टोक्यो, १९६७, पृ० ५६५ ॥ ३. वही ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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