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________________ झषिदत्तानी कथा. २५७ पनी कुमार जिनेश्वर प्रजुने नमस्कार करी मुनिने साथे लइ पोताना श्राश्रममां श्राव्यो. त्यां तेणे मुनिने लोजन अने वस्त्र विगेरेथी सत्कार करीने पूज्यु के,“ हे मुनि ! तमे अहिं क्यारे अने क्यांथी श्राव्या बो ते सर्व तमारी वात मने कहो ?” मुनिए दांतनी कांतिरूप डांगरथी वनने मंगलकारी करतां कह्यु. “पूर्वे हरिषेण नामना मुनि अहिं रहेता हता. तेमने प्राणना सरखी वहाली ऋषिदत्ता नामे पुत्री हती. तेने को राजकुमार परणीने पोताना नगर तरफ गयो. मुनि पण अग्निमां प्रवेश करी देवलोकमां गया.ते वखते हुँ पृथ्वी उपर जमतो जमतो अहिंथावीचड्यो. हे राजकुमार ! मने श्रहिं श्राव्याने पांच वर्ष थ गयां डे; परंतु आजे तमारा दर्शनथी म्हारा सर्वे मनोरथो सफल थया ले.” राजकुमारे कडं. " हे मुनि ! आनंदयुक्त एवा तमने जोश जेम वरसादथी वन तृप्त न थाय तेम म्हारी दृष्टी जरा पण तृप्त थती नथी.” मुनिए कडं. "हे देव! जेम कमलने सूर्य अने पोयणीने चंड हर्ष करनारा थाय . तेम श्रा लोकने विषे को कोश्ने हर्ष करनार थाय ." __पड़ी कनकरथ राजकुमारे मुनिने श्राग्रहथी कडं." हे मुनि ! हमणां तमारा प्रेमरूप सांकलथी म्हारं मन बंधा गयुं बे; माटे तमे म्हारी साथे चालो श्रने वलती वखते था आश्रममा रहेजो.” मुनिए कडं. " हे देव ! साथे तेमी जवामां श्राग्रह करवो नहीं, कारणके मारे मु. निउँने सर्व प्रकारे राजानो समागम दोषवालो .” मुनिनां वचन सांजली सर्व जनो सहित राजकुमारे तेमने एवो श्राग्रह कयो के कृषिदत्ता मुनिने तेनी साथे जवान कबुल कख्या विना चाट्युं नहीं. पली श्रस्ताचल पर्वतना शिखर उपर श्रावी पहोचेला राता फलसरखा सूर्यने लीधे संध्याकालनां वादलांथी सर्व दिशा राती थइ ग. ते वखते ऋषिदत्ता महामुनिनो सत्कार करवा माटेज होय नहिं शुं ? एम सात ऋषिर्ड सहित चंड उदय पाम्यो, पढी संध्याकालनु नित्य कार्य करी प्रीतिनी वातोथी हर्षित मनवाला ते बन्ने जणाए एक शय्यामां सूश्ने रात्री विवृत्त करी. पड़ी ते अनुक्रमे रस्तामां अनेक प्रकारनी वातो करता, नवां नवां स्थानो जोता अने विचित्र एवा सुजाषित श्लोको बोलता कावेरी नगरीमा श्रावी पहोच्या. सुंदरपाणी राजाए महा हर्षश्री तेमने नगरमां
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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