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________________ पृष्ट २१६. विषय विषय दीव बंदर और मूलराजा २०५ / समरसिंह तीलंगदेश का सुबेदार २१६ आचार्यश्री का भविष्य २०६ परोपकारिता मेरुगिरि को प्राचार्य पद | जैनधर्म का प्रचार २१७.. संखेश्वर पार्श्वनाथ २०७ समरसिंह का स्वर्गवास २१८ संघ का पुनः पाटण में प्रवेश २०८ परिशिष्ट संख्या १ स्वागत की धूमधाम ऐतिहासिक प्रमाण २१६ आठवाँ अध्याय. परिशिष्ट संख्या २ श्रा० सिद्धसूरि का शेष जीवन समरारास (मूल) आम्रदेवसूरिकृत २३३. ज्ञान भंडारका सूचीपत्र. २५०देशलशाह का शत्रुजय संघ २११ उपकेशपुर की यात्रा २१२ चित्र सूची. देशलशाह का स्वर्गवास २१२ १ शत्रुजय तीर्थ प्राचार्य सिद्धसूरि का स्वर्गवास २१३ २ कापरड़े का मन्दिर नववाँ अध्याय. ३ कापरड़े की मूर्ति ४ योगीराज रत्नविजयजी समरसिंह का शेष जीवन २१५५ मुनि ज्ञानसुन्दरजी प्राचार्य कक्कसूरि २१५ / ६ मुनि गुणसुन्दरजी समरसिंह और बादशाह २१५ / ७ रत्नप्रभ सूरिजी समरसिंह की उदारता २१५ | ८ उपकेशपुर में जैनी बनाना मथुरा और हस्तिनापुर की यात्रा २१६ । ९ गिरनार गिरि
SR No.023288
Book TitleSamar Sinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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