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________________ ©©©©©©©©©©©©©©©©©©©© - प्राचीन तीर्थ श्री कापरड़ाजी स: मरसिंह की जीवनी को पढ़ने से श्राप को विदित होगा कि इन्होंने 21 अपने सम्पूर्ण जीवन को किस पवित्र ध्येय पर चलाया था । * तीर्थयात्रा का महत्व भी पाठकों को सम्यक् प्रकार से ज्ञात होगा। इसी विषय से सम्बन्ध रखती हुई एक अपील सुज्ञ पाठकों के समक्ष रखू तो असंगत नहीं होगा । भारतवर्ष के वक्षस्थल में आई हुई मारवाड़ स्टेट की राजधानी जोधपुर नगर से २८ मील की दूरीपर श्री कापरड़ाजी नामक प्राचीन एवं चमत्कारिक तीर्थ अवश्य दर्शनीय है । यह रमणिक स्थान जोधपुर से बिलाड़े जानेवाली रेलपर आए हुए पीपाड़ सीटी स्टेशन. से ८ मील तथा सेलारो स्टेशन से सिर्फ ५ मील की दूरी पर ही है। जहाँपर श्री स्वयंभू पार्श्वनाथ भगवान् , का गगनचुम्बी चौमुखी एवं चौमंजिला ( राणकपुर ही की तरह का ) सुन्दर और मनोहर मन्दिर है। इसकी कमनीय कांति की कलित कथा इस प्रान्त में सर्वत्र प्रसिद्ध है। इसका सम्पूर्ण वर्णन आपको एक स्तवन से विदित होगा जो एक महात्मा का बनाया हुआ है और उपयोगी समझकर नीचे उद्धृत किया गया है । इसके पठन से आपको इस तीथ का सब हाल मालूम हो जायगा । विशेष लिखने का प्रयोजन यह है कि इस भीमकाय विशाल मन्दिर का बहुतसा काम अधूरा है जिसको पूरा कराने के लिये बीस से पच्चीस लाख रुपये व्यय करने की आवश्यक्ता है । परन्तु वर्तमान समय को देखकर मैं यह अपील करता हूं कि धर्मप्रेमी पुरुषों को इसके जरूरी २ जीर्णोद्धार के कार्य में यथाशक्ति सहायता देकर अवश्य लाभ लेना चाहिये । प्रतिवर्ष माघ शुक्ला ५ का यहाँ मेला भी भरता है और खामीवात्सल्य भी हुश्रा करता है। आशा है कम से कम यहाँ की यात्रा का लाभ तो एकबार आप अवश्य लेंगे । निवेदक-मुनि ज्ञानसुन्दर । नोट-जोधपुरसे हमेशा मोटर सीधी कापरड़ाजी जाती है।
SR No.023288
Book TitleSamar Sinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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