SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( सिरि भूवलय ) __ अत्यंत सुंदर लिखावट ,उत्तम प्रकार के कागज़ों पर लिखे अमूल्य हस्तप्रतियों को उत्तम स्तर के संचिकाओं (फाइलों) में संग्रहित, उन अमूल्य अभिलेखों में सिरि भूवलय के चक्रों की संख्या को अंग्रेजी संख्याओं में और अक्षरों को कन्नड में लिखा गया है अभिलेखों का विवरण इस प्रकार है विभाग-अ प्रथम संचिका (फाइल) (१ से ३३ अध्याय) २८३ पृष्ठ द्वितीय संचिका (फाइल) (३४ से ४० अध्याय) ५५६ पृष्ठ तृतीय संचिका (फाइल) (४१ से ५६ अध्याय) ६६६ पृष्ठ कुल मिलाकर लिखावटी पृष्ठ १५०५ विभाग-ब सुंदर रूप से बिना कोई त्रुटि के टाईप किए, पंडित यल्लप्पा शास्त्रीजी द्वारा लिखित गणित सिद्धांत' ७ पृष्ठों में है । इसको टाईप करने वाले बी. एस. विर्जाकर, जे. एम. जे. बुरेरु, कोल्लाहपुर है । विभाग-क ___पंडित यल्लप्पा शास्त्रीजी द्वारा संग्रहित सिरिभूवलय के चक्रों का मूल हस्तप्रतियां इस संचिका(फाइल) में है । इसमे सभी लाईमिनेट किए गए उत्तम स्थिति में २१ चक्र है और तृटित, शिथिल स्थिति में ११ चक्र है । कुल ३२ चक्र है । विभाग-ड यह पंडित यल्लप्पा शास्त्रीजी द्वारा हाथों लिखित पुस्तक है । इसमें सिरि भूवलय के जैनसिद्धांत' ग्रंथ के ५३ पृष्ठ हैं । साथ ही 'ब' विभाग में गणित सिद्धांत के प्रति भी है। इसको अंकभंग भूवलय' कहा गया है। 15
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy