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________________ - सिरि भूवलय - विभाग-इ सिरि भूवलय के ३४ से ५९ अध्याय तक का लिखावटी हस्तप्रति है। अंत में पुरातत्व विभाग के निर्देशक को और अधिकारि श्री पी. के. राय, श्री जी. ए. बिरादार और अभिलेखापाल श्रीमती शगुफजी का, उनकी सहायता और सहयोग के लिये मैं बहुत आभारी हूं । मुझे पुरातत्व विभाग से मुलाकात करने के लिये मेरी मदद करने वाले मेरे आत्मीय मित्र लोक सभा सदस्य श्री एस मल्लिकार्जुनैय्या को और श्री बी. एम. मल्लप्पाजी को और श्री वाय. अविहींद्रनाथ राव जी को मेरी कृतज्ञता अर्पित करता हूं। इन जानकारियों को प्राप्त करने के इच्छुक इस पते पर संपर्क करें: डाइरेक्टर जनरल ऑफ़ आर्के व्स राष्ट्रीय पुरातत्व विभाग जनपथ, नई दिल्ली-११०००१ ऑफ़िस इन-चार्ज : श्री पी. के. रॉय . सिरिभूवलय विभाग : श्री जी. ए. बिरादार दूरवाणी : ०११-२३०७३४६२ फाइल- इन-चार्ज : श्रीमती शगुफ, वैयक्तिक संग्रह विभाग दूरवाणी: ०११-२३३८७५०९ विश्व में एकैक रहस्य प्रति अंको द्वारा रचित विद्वानों को आश्चर्य करने वाला यह अमूल्य सिरि भूवलय ग्रंथ की हस्तप्रति का महत्व का ज्ञान पुरातत्व विभाग के किसी भी अधिकारी और नौकर-चाकरों को नहीं था इस बात से मुझे बहुत दुखः हुआ । फिर भी दीर्घकाल से अत्यंत सुरक्षित और सुव्यवस्थित ढंग से संरक्षित करते आना, श्लाघनीय है ।। मैंने उनको इस ग्रंथ के महत्व को बताया तो वे सब आश्चर्यचकित होकर यह जगत के अद्भुतों में से एक है! ऐसा अपना अभिप्राय प्रकट किया । उन्होंने बहुत आनंद से मुझे सभी तरह का सहयोग दिया । हस्तप्रति के जेराक्स प्रतियों को प्रदान ही नहीं किया बल्कि इस अमूल्य हस्तप्रति के संरक्षण में विशेष सावधानी देने का वादा भी किया । 16
SR No.023254
Book TitleSiri Bhuvalay Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwarna Jyoti
PublisherPustak Shakti Prakashan
Publication Year2007
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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