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________________ १४४ इतिहास सम्मत चाहमान - वंशक्रम १. वासुदेव > सामन्त > नरदेव, जयराज > विग्रहराज ( प्रथम ) > चन्दनराज ( प्रथम ) > गोपेन्द्रराज ( प्रथम ) > गोविन्दराज ( प्रथम ) ( गूथक प्रथम ) > दुर्लभराज गोविन्दराज (द्वितीय) ( गयक द्वि० ) > चन्दनराज ( द्वि० ) > वाक्पतिराज ( प्रथम ) ( वप्पै राज ) > सिंहराज ( ६५६ ई० ) > विग्रहराज ( द्वि०), दुर्लभराज द्वि० )> गोविन्दराज (तृतीय) > वाक्पतिराज ( द्वि०), वीर्य राम तथा चामुण्डराज > सिंहल, दुर्लभराज ( तृ० ) > विग्रहराज ( तृ० ) > पृथ्वीराज ( प्रथम ) > अजयपाल > भर्णोराज > जगदेव, विग्रहराज (चतुर्थ) ( ११५३-५४ ई०), अमर गांगेय, पृथ्वीराज ( द्वि०), सोमेश्वर पृथ्वीराज (तृतीय), (११७१ - ११६१) ई० हरिराज ( ११६४ ई० ) । चाहमान राजवंश ( रणथम्भौर ) - गोविन्द राज > बाल्हरण, प्रह्लाद तथा वाग्भट> वीरनारायण > जैत्रसिंह > हम्मीर (१२८३-१३०१ ई०) २. चालुक्य वंशक्रम (क) उत्पत्ति - चालुक्य वंश की उत्पत्ति के विषय में अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं जिनमें से एक यह भी मान्यता है कि चालुक्य वंश की उत्पत्ति अग्नि से हुई। कहा जाता है कि आबू पर्वत पर वसिष्ठ ऋषि ने यज्ञ किया और उस यज्ञ वेदी से 'चालुक्य' उत्पन्न हुआ था । 3 चालुक्य की अपर संज्ञा 'सोलङ्की' भी भी मानी जाती है । विक्रमादित्य के ( वि० सं० ११३३ तथा ११८३) शिलालेखों के अनुसार 'सोलंकीं' अर्थात् चालुक्य वंश की उत्पत्ति चन्द्रवंश से हुई थी । ४ एक तीसरी मान्यता के अनुसार ब्रह्मा से 'चुलुक' नामक पीर उत्पन्न हुआ इसी से 'चालुक्य वंश की स्थापना हुई। जैन विद्वान् हेमचन्द्र राजा भीमदेव को चन्द्रवंश से सम्बन्धित मानते हुए चालुक्य वंश का उद्भव भी चन्द्रवंश से ही मानते हैं । इस प्रकार इतिहासकारों में चालुक्य वंश के विषय में मतभेद है किन्तु अधिकांश शिलालेखों आदि के प्रमाणों से 'चन्द्रवंश' की ही पुष्टि होने के कारण चालुक्यों को चन्द्रवंशी क्षत्रिय माना जाता है। ६ १. जैन संस्कृत महाकाव्यों में भारतीय समाज Kirtane, N.J., The Hammira Mahakavya of Nayacandra Sūri, introduction, p. x-xxxix. २. लक्ष्मीशङ्कर व्यास, महान् चौलुक्य कुमारपाल, वाराणसी, १९६२, पृ० ४७ ३. वही, पृ० ४७-४८ ७. ४. Indian Antiquary, Part 21, p. 167 ५. विक्रमांकदेवचरित, १.३६-३६ द्वया० ६.४०-६० व्यास, चौलुक्य कुमारपाल, पृ० ४७
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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