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________________ राजनैतिक शासन तन्त्र एवं राज्य व्यवस्था १४३ पूर्ण प्रकाश डालते हैं ।" हम्मीर महाकाव्य की चाहमान वंशावली की इन ऐतिहासिक स्रोतों से तुलना करने पर अधिक अन्तर दृष्टिगत नहीं होता । कुछ को छोड़ कर प्रायः सभी चाहमानवंश के राजाओं की वंशावली इतिहास सम्मत है और चाहमान वंश की ऐतिहासिक घटनाओं पर महत्त्वपूर्ण प्रकाश डालती है । (क) उत्पत्ति -- हम्मीर महाकाव्य में चाहमान वंश की उत्पत्ति सूर्य से मानी गई है। एक बार पुष्कर में ब्रह्मा ने यज्ञ में राक्षसों के विघ्न के प्रतिकार के लिए सूर्यदेव का स्मरण किया जिसके परिणाम स्वरूप सूर्य से एक योद्धा अवतरित हुआ और उसने यज्ञ की रक्षा की । ब्रह्मा की कृपा से उसने पृथ्वी में साम्राज्य विस्तार किया तथा 'चाहमान' नाम से प्रसिद्ध हो गया । पृथ्वीराजविजय भी चाहमान वंश की उत्पत्ति सूर्य से ही मानता है । इसी वंश में सर्वप्रथम राजा वासुदेव हुआ । (ख) वंशक्रम ' -- हम्मीर० के प्रथम सर्ग से लेकर चतुर्थ सर्ग पर्यन्त वासुदेव से लेकर सिंहराज तक का वर्णन है तथा इनका क्रम इस प्रकार हैवासुदेव>नरदेव>चन्द्रराज > चक्रीजयपाल > जयराज > सामन्तसिंह > गूयक> नन्दन> वप्रराज > हरिराज > सिंहराज > भीम > विग्रहराज > गुंददेव > वल्लभराज >राम > चामुण्डराज> दुर्लभराज > दुःशलदेव > विश्वल ( प्रथम ) > पृथ्वीराज (प्रथम) > आल्हणदेव > प्रानलदेव > जगदेव > विश्वलदेव (द्वितीय) >जयपाल> गङ्गदेव>सोमेश्वर>पृथ्वीराज (द्वितीय) > हरिराज > तथा गोविन्द (जोकि रणथम्भौर में राज्य करता था । हरिराज (भाई) के अग्निप्रवेश कर लेने के उपरान्त उसके सभी मन्त्री आदि रणथम्भौर में शरण लेने श्रा गए । अतः इसके उपरान्त रणथम्भोर से ही चाहमान वंश का सम्बन्ध रह गया था । हरिराज तक के चाहमान राजाओं का सम्बन्ध अजमेर तथा शाकम्भरी से था । ७ > [ गोविन्द ] > बाल्लरण > प्रह्लाद, वीरनारायण तथा वाग्भट > जैत्र सिंह > हम्मीर । १. तु० - दशरथ शर्मा, हम्मीर महाकाव्य में ऐतिह्य सामग्री, हम्मीर महाकाव्य, भूमिका, सम्पा० मुनिजिनविजय, राजस्थान, १६६८, पृ० २६ २. वही, पृ० २६-२६ ३. वही, १.१४ - १८ ४. हम्मीर महाकाव्य, भूमिका, पृ० १२ ५. वही, पृ० २७ ६. वही, सर्ग १-४ ७. Sharma, Dasaratha, Rajasthan, Through the Ages, pp. 245-46, 615-20
SR No.023198
Book TitleJain Sanskrit Mahakavyo Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohan Chand
PublisherEastern Book Linkers
Publication Year1989
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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