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अन्वयः - गगम् [सहस्रांशूपमम्] गगम् [श्रेष्ठशरीरम् गगम् [परमार्थवक्तारम्
गम् [विघ्नविनाशकम् गम् [श्रेष्ठम् गगगम् [उत्तमशब्दवन्तमुत्तमस्वरवन्तञ्च] गगगम् [संसारस्तम्बेरमसिंहम्] गगम् [श्रेष्ठशरणम् गगम् [रागरहितम् गगम् [नागगमनम्] गम् [शुभम् गम् [उत्तमम् शम्भवं जिनम् [श्रीशम्भवजिनेश्वरम् गग: संसारानुरक्तः] अहं भजे [अहं सेवे]।
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जिनेन्द्रस्तोत्रम्