________________
रुचिरा
वीर, सौभाग्यशाली, धर्मदाता, निर्गुण, कर्मरहित हे कलिकुंड पार्श्वनाथ भगवान ! श्वेतहृदयी, स्वर्ग सुख के दाता, ईश्वर, संसार स्वरूप अग्नि को उपशांत करने के लिए मेघ तुल्य, श्रेष्ठ, चतुर्विध संघ के नायक, अतीव पुण्यशाली, मात्सर्य रहित, वीतराग, स्थिर, बुद्धिशाली, सूर्य सम तेजस्वी, कमलमुखी, सुख के समुद्र आपकी (तेरी) एवं कलिकुंड तीर्थोद्धारक प.पू. आ.भ. श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. की स्तुति करके आत्मा के कर्मों के विनाश के लिए 'जिनेन्द्र स्तोत्र' की रचना करतां हुं ॥ | १ ||
जिनेन्द्रस्तोत्रम्