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कमनीया
उत्तम ज्ञानवाले, द्वेष रूप अग्नि को उपशान्त करने के लिए नीर तुल्य, राग रूप रोग से रहित, श्रेष्ठ स्वभाववाले, सौम्य, अभयदान को देनेवाले हे अरिहंत परमात्मा ! काम रूप पिशाच को भयभीत करनेवाले, मनुष्यों में श्रेष्ठ, शस्त्र रहित, विश्वेश्वर, विद्वान, वैरागी, सुखी जीवों में श्रेष्ठ, श्रेष्ठ गतिवाले आप मेरे पर कृपा करें ॥१०॥
કમનીયા
ઉત્તમ જ્ઞાનવાળા, દ્વેષ રૂપી અગ્નિનું ઉપશમન કરવામાં નીર સમાન, રાગ રૂપી રોગથી રહિત, સારા સ્વભાવવાળા, સૌમ્ય, અભયદાનને આપનારા હે અરિહંત પરમાત્મા ! કામ રૂપી પિશાચને ભયભીત કરનાર, मनुष्योमा श्रेष्ठ, शस्त्र रहित, विश्वेश्वर, विद्वान, वैरागी, सुजीभुवोमां श्रेष्ठ, सारी यासवाला तमे भारा उपर पारो ॥ १० ॥
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अर्हत्स्तोत्रम्