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अन्वयः ॐ रे लल ! ल ! [हे सुखेनापूर्ण ! दीन !] (त्वम्) लललम्
[स्वर्गसुखदातारम्] लललम् [शिवशर्मदायकम्] लम् [सर्वफलप्रदम् ललम् [अवनिचन्द्रमसम्] ललम् [इन्द्राणामपीन्द्रम्] लललम् [भयविषनिवारणे पीयूषोपमम्] ललम् [दयासदनम् ललम् [दीनदानदायकम् ललम् [शशिवदाह्लादकम्] लम् [विमलम्] मल्लिनाथं [श्रीमल्लिनाथस्वामिनम्] जुषस्व [सेवस्व] ।
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जिनेन्द्रस्तोत्रम्