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रुचिरा
हे अनाथ मानव ! तुं धन धान्य से समृद्ध, दीनों को धन देनेवाले, वीर, सूर्य सम तेजस्वी मुखवाले, आंतरशत्रुविजेता, कामाग्नि का उपशमन करने में नीर तुल्य, पृथ्वी में रत्न समान, रज के उच्छेदक, सुंदर रूपवाले, गुरु, ईश्वर, श्री अरनाथ भगवान की सर्वदा स्तवना कर ||२०||
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जिनेन्द्रस्तोत्रम्