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अन्वयः - (हे) रर ! [भोऽनाथनर !] (त्वम्) रररम् [धनधान्यसमृद्धम्] रररम्
[दीनेभ्यो द्रविणस्य दातारम् रम् [वीरम्] ररम् [सूर्यवदनम्] ररम् [आभ्यन्तरवैरिवारविजेतारम्] रररम् [कामकृशानुकम्] ररम् [रसारत्नम् ररम् [रजश्छेदकम्] ररम् [रुचिररूपम्] रम् [गुरुम् रम् [ईश्वरम् अरम् [श्रीअरनाथजिनेश्वरम्] सर्वदा [सदा] ईडिष्व [स्तुष्व ।
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जिनेन्द्रस्तोत्रम्