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________________ क्र. प्राकृत 28. रहो चलेइ | 29. अम्हे नाणं इच्छामो 30. अम्हे वत्थाणि मज्जेमो | 31. जाइं जिणबिंबाई ताइं सव्वाइं वंदामि । क्र. हिन्दी 1. मूर्ख मुंझाते हैं । ज्ञान प्रकाशित 2. होता है । 3. कमल शोभा देते हैं । 4. दो नेत्र देखते हैं । 5. शिष्य ज्ञान पढ़ते हैं 6. दो वृक्ष गिरते हैं । 7. घोड़े पानी पीते हैं । 8. देव तीर्थंकरों को नमस्कार करते हैं । 9. दो बालक आभूषण ले जाते हैं । 10. उपाध्याय ज्ञान का उपदेश देते हैं । धन बढ़ता है । 11 हिन्दी रथ चलता है । हम ज्ञान की इच्छा करते हैं । वयं वस्त्राणि प्रमृज्मः । हम वस्त्रों को साफ करते हैं । जितनी जिनप्रतिमाएँ हैं उन सभी को वंदन करता हूँ । संस्कृत रथश्चलति । वयं ज्ञानमिच्छामः । हिन्दी वाक्यों का प्राकृत एवं संस्कृत प्राकृत मुरुक्खा मुज्झन्ति । नाणं पयासेइ । यानि जिनबिम्बानि तानि सर्वाणि वन्दे | कमलाई छज्जन्ते । दोणि नेत्ताइं पासन्ति । सीसा नाणं भणन्ति । | दुवे वच्छा पडन्ति । आसा जलं पिवन्ति । देवा तित्थयरे नमन्ति । दुवे बाला भूसणाई नेइरे । उवज्झाओ नाणं उवदिसइ । धणं वड्ढए । २१ संस्कृत मूर्खाः मुह्यन्ति । ज्ञानं प्रकाशते । कमलानि राजन्ते । । द्वे नेत्रे पश्यतः । शिष्याः ज्ञानं भणन्ति । द्वौ वृक्षौ पततः । अश्वाः जलं पिबन्ति । देवास्तीर्थकरान् नमन्ति । द्वौ बालौ भूषणानि नयतः । उपाध्यायो ज्ञानमुपदिशति । धनं वर्धते ।
SR No.023126
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysomchandrasuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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