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________________ 16. हिन्दी . प्राकृत संस्कृत | पण्डित पुस्तकों को | पंडिआ पोत्थयाइं पण्डिताः चाहते हैं और अहिलसन्ते, पुस्तकान्यमिलष्यन्ति, मूर्ख चाँदी की इच्छा मुक्खा य रययं । मूर्खाश्च रखते हैं। | इच्छन्ति । रजतमिच्छन्ति । 13. वह सिद्ध होता है । | सो सिज्झइ । स सिध्यति । 14. पंडित मोक्ष को प्राप्त | बुहो मोक्खं लहइ ।। बुधो मोक्षं लभते । करते हैं। 15. मूर्ख शर्मिन्दा नहीं मुक्खा न लज्जंते । मूर्खाः न लज्जन्ते । होते हैं। | वियोग मनुष्यों को | विओगो जणे बाहए। वियोगो जनान् बाधते । दुःख देता है। 17. साधु तप करते हैं। | समणा तवं करेन्ति । | श्रमणास्तपः कुर्वन्ति । 18. बालक वस्त्र को । | बालो वत्थं करिसइ । | बालो वस्त्रं कृषति । खींचते हैं। 19. | हम सूत्र का विचार | अम्हो सुत्ताइं चिन्तेमो । वयं सूत्राणि चिन्तयामः । करते हैं। पुत्र पिता को पुत्ता जणयं नमसंति । | पुत्राः जनकं नमस्यन्ति । नमस्कार करते हैं। 21. पानी सूखता है। | जलं सूसइ । जलं शुष्यति । 22. बालक पानी बालो जलं पाएइ । बालो जलं पिबति ।. पीता है। 23. राम पापी को रामो पावं हणइ । रामः पापं हन्ति । मारता है। 24. पण्डित रक्षण बुहा रक्खेन्ति । बुधाः रक्षन्ति । करते हैं। 25. बालक भयभीत | वच्छा बीहेन्ति । वत्साः बिभ्यति । होते हैं। 26. अभिमान लोगों को | मओ जणे बाहए। मदो जनान् बाधते । दुःखी करता है। =
SR No.023126
Book TitleAao Prakrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysomchandrasuri, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2013
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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