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________________ आओ संस्कृत सीखें से ही आपने अपत्य संबंध क्यों नहीं बताया । (ज्ञा भूतकृदन्त) 4. अतिहर्षवाले आचार्य बोले, 'पुत्र संबंध को जानकर तुम मनक मुनि के पास सेवा नहीं कराते, इस कारण वह अपने स्वार्थ को छोड़ देता (वि + मुच्) । उस रंक को प्रव्रज्या प्रदान कर, उसे मोदक आदि इष्ट भोजन रुचिपूर्वक खिलाया। (भुज् - अद्य ) राजा अशोक ने उस बालक को मंगवाया (आ+नी - ह्य) और उसका नाम संप्रति किया। (कृ. अद्य.) राजा अशोकने दश दिन के बाद संप्रति को अपने राज्य पर स्थापित किया । ( नि + निश् - अद्य.) 8. कुमार ने वह लेख पढा ( वच् - परोक्षा) और पढ़कर ( वच्) मूक हुआ । 9. चंद्रगुप्त को जहर देकर कोई मार न दे (हन्) इस हेतु से चाणक्य ने प्रतिदिन अधिक-अधिक विषाहार खिलाया । 10. मौर्य को बतलाकर चाणक्य द्वारा सुबंधु को उसका (मौर्य का ) प्रधान बनवाया था। (कृ - भू.कृ) 11. राजा अशोक ने दश दिन के बाद संप्रति को अपने राज्य पर स्थापित किया । हिन्दी में अनुवाद करो 1. अज्ञः सुखमाराध्यः, सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञः । ज्ञानलवदुर्विदग्धं, ब्रह्मापि नरं न रञ्जयति ।। बिभेषि यदि संसारान्मोक्षप्राप्तिं च काङ्क्षसि तदेन्द्रियजयं कर्तुं, स्फोरय स्फारपौरुषम् ।। इतः स दैत्यः प्राप्तश्री-र्नेत एवार्हति क्षयम् । विषवृक्षोऽपि संवर्ध्य स्वयं छेत्तुमसाम्प्रतम् ।। 4. दिशः प्रसादयन्नेष तेजोभिः प्रसृतैः सदा । न कस्यानन्दमसमं विदधाति विभाकरः ।। 5. 6. 7. 2. 3. 270 5. “कमपि सावद्यव्यापारं न करोमि, अन्येन न कारयामि, सुखेन नीरागः सन् आसे” इति यस्य मनसि इयान् आग्रहः तस्य भण कियान् विवेक: ? । 6. काहि पुंगणना तेषां येऽन्यशिक्षाविचक्षणाः । " ये स्वं शिक्षयितुं दक्षा - स्तेषां पुंगणना नृणाम् ।।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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