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आओ संस्कृत सीखें
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शब्दार्थ अराति = शत्रु (पुंलिंग) | रुज् = रोग (स्त्री लिंग) ओघ = समुह (पुंलिंग) | शकुन्तलाकण्वऋषि पोषित कन्या (स्त्री) चामर = चामर (पुंलिंग) | सुरा = मदिरा (स्त्री लिंग) फणीन्द्र = शेषनाग (पुंलिंग) अपत्य = संतान (नपुं. लिंग) बन्दिन् = मंगल पाठक (पुंलिंग) | पिशित = मांस (नपुं. लिंग) लव = अंश
(पुंलिंग) | बल = सैन्य (नपुं. लिंग) विभाकर = सूर्य (पुंलिंग) | वर्त्मन् = मार्ग (नपुं. लिंग) विष्णुदास = चाणक्य (पुंलिंग) | विष = जहर (नपुं. लिंग) शक्र = इन्द्र
(पुंलिंग) | क्षमिन् = क्षमावाला (विशेषण) संश्लेष = संबंध (पुंलिंग) | दुर्विदग्ध = गर्विष्ठ (विशेषण) क्षुल्लक = बाल साधु (पुंलिंग) | वशिन् = जितेन्द्रिय
(विशेषण) इला = पृथ्वी (स्त्री लिंग) | स्फार = ज्यादा (विशेषण) कालपुरी = यमपुरी (स्त्री लिंग) | अधस् = नीचे (अव्यय) ग्रीवा = गर्दन (स्त्री लिंग) | असाम्प्रतम् = अयोग्य (अव्यय) प्रावृष् = वर्षाऋतु (स्त्री लिंग) | तत्रभवत् = आप, पूज्य (सर्वमान) बन्दि = कैदी (स्त्री लिंग) ।
धातु उप+नी पास में ले जाना,देना (गण 1 उभ.) वि+प्लु = युद्ध करना दुष् = दूषित होना गण 4 परस्मै. ..
शिक्ष = सीखना गण 1 आत्मनेपद ध्वंस् = ध्वंस होना गण 1 आत्मने. सम् + पद् = प्राप्त होना प्लु = कूदना, गण 1 आत्मनेपद
(गण 4 आत्मनेपदी) संस्कृत में अनुवाद करो 1. उस प्रकार करता हुआ राजा, उसकी रानी पुष्पवती द्वारा वरा गया, परंतु उसकी
भी उसने गणना नहीं की (गण् अद्य) । 2. हे आर्यपुत्र ! आप बिल्कुल दुःख न करो (मा-कृ अद्य. द्वितीय पुरुष एकवचन)
मैं तत्काल भाई को बताती हूँ और आपका इच्छित (त्वदीप्सितम्) कराऊंगी। 3. झुकी हुई है ग्रीवा जिनकी, ऐसे यशोभद्र आदि शिष्यों ने कहा 'हे पूज्य, पहले
(स्त्रा