SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आओ संस्कृत सीखें 111 सर्वनाम पूर्व = पूर्व दिशा, पूर्व काल अपर = पश्चिम, दूसरा अधम पर = बाद का अधर = नीचे का, हल्का अवर = छोटा, अंतिम स्व = स्वयं का दक्षिण = दक्षिण दिशा, देश अन्तर = अंदर का उत्तर = उत्तर देश, काल शब्दार्थ आपात = प्रारंभ (पुंलिंग)। अक्षि = आँख (नपुं. लिंग) क्रोष्ट = सियार (पुंलिंग) | अभ्र = बादल (नपुं. लिंग) गो = बैल (पुंलिंग)| अस्थि = हड्डी (नपुं. लिंग) गो = गाय, वाणी, पृथ्वी (स्त्री लिंग) | आधिपत्य = आधिपत्य (नपुं. लिंग) पति = स्वामी (पुंलिंग) | कुञ्ज = झाड़ी (नपुं. लिंग) रै = पैसा (पुंलिंग) | मात्र = अवधारण (नपुं. लिंग) विभ्रम = विलास (पुंलिंग) | विलोचन = आँख (नपुं. लिंग) सखि = मित्र (पुंलिंग) | सक्थि = जंघा (नपुं. लिंग) अवी=मासिक धर्म वाली स्त्री (स्त्री लिं) | काण = काणा (विशेषण) त्वच् = चमड़ी (स्त्री लिंग) | बधिर = बहरा (विशेषण) द्यो = स्वर्ग (स्त्री लिंग) | सखी = सखी (स्त्री लिंग) स्त्री = स्त्री (स्त्री लिंग)| तरी = नाव (स्त्री लिंग) तन्त्री = वीणा (स्त्री लिंग)। __संस्कृत में अनुवाद करो : 1. तू दही के साथ चावल खा परंतु उड़द मत खा । 2. वह आँख से काना और कान से बहरा है । (अक्षि) 3. प्रात:काल में अंधेरे की तरह सियार भी झाड़ियों में घुस जाते हैं । 4. गाय का दूध स्वभाव से ही अति मधुर और बुद्धि को बढ़ाता है । (पुष गण 9) 5. स्त्रियाँ वदन द्वारा कमल को और गति द्वारा हंस को जीत लेती हैं । 6. सती स्त्रियाँ पति की आज्ञा को प्रभु की आज्ञा अनुसार मानती हैं ।
SR No.023124
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy