SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आओ संस्कृत सीखें 35 ५७ 9. धर्मस्य फलमिच्छन्ति धर्मं नेच्छन्ति मानवाः । 10. हस्तस्य भूषणं दानं न कङ्कणम् । 11. देहस्य भूषणं शीलं नालङ्काराः 12. श्रमणा मम गृहे वसन्ति । पुंलिंग नपुंसक लिंग 4. पाठ-19 संबोधन-प्रत्यय 0 0 हे बाल ! पुंलिंग नपुंसक हे कमल ! 13. त्वयि ज्ञानं वर्धते मयि न । 14. पापान्यस्मासु न सन्ति । 15. चन्दनं न वने वने । औ ई उदा. पर्णं च फलं च पततः । पर्णं पुष्पं फलं च पतन्ति । पर्णं वा फलं वा पतति । पर्णं फलं वा पततिं । हे बालौ ! हे कमले ! 1. संबोधन अर्थात् किसी को अपने अभिमुख करना, बुलाना । 2. उदा. हे बाल ! त्वं क्व गच्छसि ? संबोधन अर्थ में प्रथमा विभक्ति होती है । अस् इ हे बालाः । हे कमलानि ! 3. दो आदि पदों को जोड़ते समय 'च' अव्यय और अलग करते समय 'वा' अव्यय का प्रयोग करते हैं । 'च' और 'वा' का प्रयोग हर बार अथवा अंतिम पद के बाद एक बार कर सकते है । दो वाक्यों को जोड़ते समय 'च' और अलग करते समय 'वा' अंतिम वाक्य के पहले पद के बाद रखा जाता है । उदा. शान्तिलालो गच्छति रतिलालश्च तिष्ठति । शांतिलालो गच्छति रतिलालो वा गच्छति ।
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy