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________________ आओ संस्कृत सीखें - देह = शरीर पर्वत = पहाड़ पर्ण = पत्ता पाप = पाप पुण्य = पुण्य कंकण = कड़ चंदन चंदन, ज्ञान = बोध = सुखड़ 34 हस्त = हाथ सर्प = साँप नपुंसक नाम तृण : = घास नयन = आँख नेत्र = आँख, चक्षु भूषण = अलंकार शिखर शिखर शील = सदाचार 1. बालः प्रासादात्पतति । 2. धर्मं विना सुखं नास्ति । 3. वृक्षेभ्यः पर्णानि क्षरन्ति । 4. चौरास्त्वद् धनं हरन्ते । संस्कृत में अनुवाद करो 1. श्री महावीर अंगों पर से अलंकारों को छोड़ते हैं । 2. अब वह घर से कहाँ जाता है ? 3. धन बिना मनुष्य मोहित होता हैं । 4. वह तुम्हारे पास से धन चाहता है । 5. राजा चोरों से हमारा रक्षण करता है । = 6. तुम्हारे बगीचे के उन दो वृक्षों पर बंदर फल खाते हैं । 7. मैं अपनी आँखों द्वारा देखता हूँ, उसकी आँखों द्वारा नहीं । 8. उन पर्वतों के शिखरों पर घास जलती है । 9. उस घर में हमारे पिता का धन है । 10. तुम्हारे गाँवों में बहुतसा अनाज है । 11. उस मार्ग में साँप जाता है । हिन्दी में अनुवाद करो 5. सङ्घो नगरान्नगरं गच्छति । 6. स वानरस्तस्मादुद्यानाद्धावति । 7. आवाभ्यां पापानि नश्यन्ति । 8. पुण्याद्विना सुखं न भवति ।
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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