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________________ आओ संस्कृत सीखें 33 12. एक नाम का दूसरे नाम के साथ संबंध हो तो गौण नाम को षष्ठी विभक्ति होती है । वृक्षस्य पर्णम् । 13. अधिकरण अर्थ में 'सप्तमी' विभक्ति लगती है । वस्तु के आधार अर्थात् रहने के स्थान को अधिकरण कहते हैं । उदा. घटे जलम् । जल का आधार घट है । गृहे तिष्ठति । रहने का आधार घर है । तिलेषु तैलम् । तैल का आधार तिल है । १४. अस्व (स्व सिवाय) के स्वर पर पूर्व के इ वर्ण, उ वर्ण, ऋ वर्ण और लृ वर्ण का क्रमशः य्, व्, र्, ल् होता है । उदा. अस्ति-अत्र = अस्त्यत्र, ग्रामेषु अटन्ति = ग्रामेष्वन्ति । सर्वनाम - अस्मद् पंचमी मद् षष्ठी मम सप्तमी मयि पंचमी. षष्टी सप्तमी पंचमी षष्ठी सप्तमी प्रासाद = महल बंदर वानर = . वृक्ष = झाड़ त्वद तव त्वयि तस्मात् तस्य तस्मिन् आवाभ्याम् आवयोः आवयोः युष्मद् युवाभ्याम् युवयोः युवयोः तद् ताभ्याम् तयोः तयोः पुंलिंग नाम मानव = : मनुष्य मार्ग = रास्ता तिल = तिल अस्मद् अस्माकम् अस्मासु युष्मद युष्माकम् युष्मासु तेभ्यः तेषाम्
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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