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________________ आओ संस्कृत सीखें 13. धार्मिका जयन्ति । 14. श्रमणा गच्छन्ति । 15. धार्मिका वर्धन्ते । 16. मयूरा नृत्यन्ति । 17. भोगिलालो हरते । 18. बालाः स्पृहयन्ति । 1 22 19. त्वं नृपोऽसि ? ओम्, अहं नृपोऽस्मि । 20. प्रधानाश्चिन्तयन्ति । अत्र कान्तिलालोऽस्ति ? 21. नात्र कान्तिलालः । 22. देवो झटिति गच्छति । पाठ-13 द्वितीया विभक्ति औ अस् बालम् बालौ । बालान् 1. द्वितीया विभक्ति के अस् प्रत्यय के अ सहित पहले का समान स्वर दीर्घ होता है, उस समय पुंलिंग नाम के अस् प्रत्यय के 'स्' का 'न्' होता है | बाल + अस् = बालास् - बालान् । 2. द्वितीया विभक्ति कर्म को होती है । 3. कर्ता क्रिया द्वारा जिसे प्राप्त करने की इच्छा करे, उसे कर्म कहते हैंउदा. रामो ग्रामं गच्छति । जाने की क्रिया द्वारा राम क्या चाहता हैं ? गाँव ! अतः गाँव-ग्राम यह कर्म कहलाता है । 4. जो सर्जन किया जाता है, वह कर्म कहलाता है । उदा. स हारं रचयति । वह क्या बनाता है ? हार ! अतः हार कर्म है । 5. क्रिया का फल जिसमें हो, उसे कर्म कहते हैंउदा. स चौरं ताडयति - वह चोर को मारता है । ताडन क्रिया का फल किसमें है ? चोर में, अतः चोर कर्म है ।
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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