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________________ आओ संस्कृत सीखें जन = : मनुष्य हिरण = मृग श्रमण = साधु समुद्र = समुद्र इदानीम् = अभी यहाँ इह = कदा = कब कहाँ क्व = इति यत्र = जहाँ झटिति = जल्दी, शीघ्र = इस प्रकार संस्कृत 1. राजा रक्षण करता है । 2. वसंतलाल सोचता है । 3. कछुआ आगे बढ़ता 4. धर्म रक्षण करता है । 5. इस प्रकार आचार्य कहते हैं । 6. बालक थकता है । 7. राजा खुश होता है । 8. चंद्र बढ़ता है । 9. मनुष्य तैरते हैं । 10. रतिलाल यहाँ है । 11. तू सुबह भटकता है । 1. धर्मो जयति । 2. बालो धावति । 3. श्रमणौ गच्छतः। 4. क्व गच्छतः ? 5. यत्राचार्यस्तिष्ठति । 6. तत्र गच्छतः । 21 अकारांत पुंलिंग नाम जीव = जीव, आत्मा देव = देवता, धार्मिक प्रधान अव्यय = न = = महाराजा धर्म करनेवाला मुख्य नहीं प्रातर् = प्रातःकाल बहुशस् = बहुत बार अत्र = यहाँ तत्र = वहाँ ओम् = हाँ में अनुवाद करो 12. हिरण दौडते हैं । 13. मनुष्य चाहता है । 14. जीव जीते हैं । 15. बालक मोहित होते हैं । 16. देवदत्त पकाता है । 17. राजा रक्षण करते हैं । 18. वे दो लोग कहाँ जाते हैं ? 19. महाराजा वंदन करते हैं । 20. बालक बहुतबार खाते हैं । 21. यहाँ लड्डू नहीं है ? हिन्दी में अनुवाद करो 7. प्रातरहं स्मरामि । 8. मोदकोsस्ति । 9. नृपाश्शाम्यन्ति । 10. मृगाश्चरन्ति । 11. प्रातर्बालाः पठन्ति । 12. समुद्रः क्षुभ्यति ।
SR No.023123
Book TitleAao Sanskrit Sikhe Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Nemchand Shah, Vijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2011
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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