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________________ निगीददाधिका. अंमि-जे क्षेत्रमा खिते-क्षेत्रमा जिजा-जोध चेव-निश्चे तो-ते कारण माटे मेध-त्यांज गोलोवि गोलोपण ते-ते प्रणे निगोउ-निगोद निप्फजइ-नीपजे छे | तुल्लावगाहण्या-सरतोतयां | खी अवगाहगावाळा ' अर्थ--जे क्षेत्रमा जीव, त्यांज निगोद अने तेज क्षेत्रमा गोलो निपजतो होवाथो ते त्रणे सरखी अवगाहनावाला छे. १४ विवेचनः-जे क्षेत्रमा एक निगोद रहेली छे तेनी अवगाहना अंगुलना असंख्यातमा भागरुप जाणवी. एटले असंख्याता आकाश प्रदेशरुप अंगुलनो अख्यातमो भाग जाणवो. ते निगोदमां रहेल दरेक जीवनी अवगाहना पण तेटलीज छे. कारण के ते निगोदरुप तेनु शरीर छे. तेमज गोलानी अवगाहना पण तेटलीज छे. कारण के ते विवक्षित निगोदनी अवगाहना सरखी एकारगाहनावाळी बीजी असंख्याती निगोदो जे त्यांज रहेली छे तेनो गोलो बने छे. ते गोलो जेटला प्रदेशमा रह्यो छे तेनो एक प्रदेशनी श्रेणीने छोडता अने बीजी बाजुए व्यापती छ दिशिमां वीजी असंख्याती निगोदो के वेनो जेटलो भाग विवक्षित गोलामां आवे ते ते विवक्षित गोलामां गणवो अने बाकी रहेल अवगाहनानो भाग बीजा गोलामां गणको.आथी जोव, निगोद अने गोळानी सरखी अवगाहना जाणवी. उक्कोसपयपएसे, किमेगजीवप्पएसरासिस्स । हुज्जेगनिगोयस्स व, गोलस्स व किं समोगाढं ॥१५॥ उकोसपयपएसे उत्कृत पपसगसिस्स-प्रदेश | निगोयस्त-निगोदमी पद प्रदेशमा | राशिनो गोलस्स-गोलानी हुज्ज होय समोमाढं-अवगाहेल अर्थ-उत्कृष्टपद आकाश प्रदेशमा एक जीवना प्रदेश राशी, एक निगोद अने एक गोलानु शुं शुं अवगाहेल छे ? १५ कि शुं
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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