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________________ मुह तथा भाषांतर. (१९५) वळी एक एक निगोदमां अनंता जीवो छ, आ अनंतु सिद्ध जीवना अनंताथी अनंतगुणुं छे. कारण के एक निगोदनो अनंतमो भाग मोक्षे गएल छे एवं शास्त्र वचन होवाथी. १२ लोगस्स य जीवस्स य, हुति पएसा असंखया तुल्ला । अंगुल असंखभागो निगोयजियगोलगोगाहो ॥१३॥ लेगिस्त-लोकना असंखया-असंख्यात | निगोय-निगदनी य-अने तुल्ला-तुल्य जिय-जोवनी जीवस्स-जीवना अगल-आंगळनो गोलग-गोलानी असंखभागो-असंख्यापएसा-प्रदेशो तमो भाग | ओगाहो-अवगाहमा अर्थ-लोकाकाशना अने जीवना प्रदेशो असंख्याता के अने तुल्य छे. निगोद, जीव अने गोलानी अवगाहना अंगुलना असं. ख्यातमा भागनी छे. १३ विवेचनः-लोकाकाशना एटले चौद राजलोकना प्रदेशो अपंख्याता के अने तेटलाज प्रदेशो एक जीवना पण छे. एटले ते बनेना प्रदेशनी संख्या सरखी छे. पण न्यूनाधिक नथी. कारण के केवली समुद्धातमां केवली पोताना प्रदेशो वडे समस्त लोकाकाशने पूरे छे. तेज जीव ज्यारे अत्यंत संकोचने पाभे छे त्यारे तेनी अब. गाहना अंगुलना असंख्यातमा भाग जेटली थाय छे. एवी आगा. हना निगोदमां पण जाणवी. कारण के अनंत जीवोनुं सरखी अवगाहनावाळु शरीर ते निगोद छे. तेमज एक गोलानी अवगा. हना पण तेटलीज छे, कारण के सरखी अवगाहनावाळी असंख्याती निगोदनो जे समूह ते गोलो छे. माटे ए त्रणेनी अवगाहना अंगुलना असंख्यातमा भाग प्रमाण छे. १३ जमि जिओ तमेव निगोउ तो संमि चेव गोलोऽवि। निप्फबइ जं वित्ते, तो ते तुल्लावगाहणया ॥१४॥
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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