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________________ ( १५६) सिद्धपंचाशिका.. जेटला उत्तर कुरुमां हिमवंत पर्वत जेटला शिखरी पर्वतमां महाहिपवंत जेटला रुप्पि पर्वतमा विगेरे. ३५. जंबु निसहंतमीसे, जं भणिभं पुबमहिअ बीअहिमे । दुतिमह हिम हिमवंते, निसढ महाहिमवविअहिमवे॥३६॥ तिअनिसहे विभकुरुसुं,हरिसु अतह तइअहेमकुरुहरिसु। दुदु संख एग अहिआ, कमभरह विदेहतिग संखा ॥३७॥ मिसहंत-निषधना अंत| बोअहिमे-बीजा हिम- | हरिसु-हरिवर्ष सुधी वंतमा दुदु बे बे स्थळे मोसे-क्षेत्रधिकना योगे ति-त्रीजा एग- एक स्थळे जं-जे मह-मोटा, महा। अहिआ-अधिक कम अनुक्रमे मणि-का छे बिअ-बीजा भरहविदेहतीग-भरत पुग्ध-पूर्व तिअ-त्रीजा अने महा विवेहना अहिअ अधिक 'निमहे-निषध त्रीकमां अर्थ-क्षेत्राद्वीकादिना योगवाळा जंबूद्वीपमा निषध पर्वतना अंत सुधी जे प्रथम कर्तुं ते तेमज जाणवू. तेथी बीजा हिमवंतगिरिमां,अधिक तेथी बीजा महा हिमवंतगिरिमा संख्यातगुण,तेथी त्रीजा हिमवंतगिरिमा संख्यावगुणा. तेथी बीजा निषधमां, विशेषाधिक. तेथी श्रीजा महा हिमवंतमा सख्यात गुण. तेथी बीजा हिमवंतमां विशेषाधिक.तेथी त्रीजा निषधमा संख्यातगुण,तेथी बीजा देवकुरुमां संख्या०, तेथी बीजा हरिवर्षमा विशेषा० तेथी त्रीजा हैमवतमां संख्या० तेथी त्रीजा देवकुरुमां संख्या०, तेथी त्रीजा हरिवर्षमा विशेषा०, एम बेबे स्थानमा संख्यातगुणा अने एक स्थानके विशेपाधिक कहेवा. त्यार पछी अनुक्रमे त्रण भरत अने त्रण महाविदेहमां संख्यावगुण कहेवा. ३६-३७. विवेचन.. अहीं अढी दीपना क्षेत्र अने पर्वतो- अल्पबहुत्व साथे कहे के.
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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