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________________ मूल तथा भाषांतर. . (.१५५) namaAAAMAN. चुल्ल-लघु धायइ-धातकी खंडमां एसुं-एमने विषे महहिमव-महाहिमवंत पुक्खरवरे-पुष्करवरम संहरणेणं-संहरणवडे हरिसु-हरिवर्ष एवं-ए प्रमाणे - भारह-भरत न वरि-एटलुं विशेष सिझति-सीझे छे विदेहे-महाविदेहे चउत्थठाणंमि-चोथा | समगेसु- सरखानेविषे साहिया-साधिक स्थानमा __ अर्थ-घातकीखंडमां लघु हिमवंत महाहिमवंत, निषध, हेमवंत, देवकुरु, हरिवर्ष अने भरत क्षेत्रने अने महाविदेहने विषे अनुक्रमे चोथा अने छठ्ठामां साधिक अने बाकीनामां संख्यात गुणा कहेवा. ३४. पुष्करवरमां पण एमज, एटलं विशेष के चोथा स्थानमा सख्यात गुणा, एमने विषे संहरणवडे सीझे छे. तथा सरखा विस्ताखाळामां सरखा. ३५. विवेचन-घातकीखंडमां लघु हिमवंत पर्वतमां सिद्ध थएला थोडा तेथी महाहिमवंतमां संख्यात गुणा, तेथी निषध पर्वतमा संख्यात गुणा, तेथी हैमवंत क्षेत्रमा विशेषाधिक, तेथी देवकुरुमां संख्यात गुणा, तेथी हरिवर्षमा विशेषाधिक, तेथी भरत क्षेत्रमा संख्यात गुणा, तेथी महाविदेहमां संख्कात गुणा, स्वस्थान होवाथी तेमज क्षेत्रनी बाहुल्यता होवाथी. ३४. पुष्करार्धमां पण घातकी खंड पेठे जाणवू. पण एटलं विशेष के चोथा स्थान हेमवंत क्षेत्रमा संख्यात गुणा कहेवा. अहीं कोई शंका करे के हिमवंतादि पर्वतोने विष मनुष्यनो अभाव होवाथी सिद्धिनो संभव केवी रीते ? उत्तर-एमने विषे देवादिकना संहहरणथी सिद्ध थता होवाथी घातकोखंड अने पुष्करार्धने विषे बाकी रहेला पर्वत अने क्षेत्रमा तेमना सरखा प्रमाणवाला क्षेत्र अने पर्वत समान जाणवू, जेमके हैमवंत क्षेत्र सरखा हैरण्यवत क्षेत्रमां. देवकुरु
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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