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________________ AAMR.AANIA ه م م م م م मूल तथा पापांतर. (१५७) . पूर्वे जंबूद्दीपने विषे निषध पर्वत सुधी जे अल्प बहुत्व कयुं ते अहीं पण ते रीते कहे. ते आवी रीते १ जंबूद्वीपना हिमवंत पर्वतमां सिद्ध यएल सर्वथी थोडा २ तेथी , हैमवंत क्षेत्रमा , संख्यातगुणा ३ ,, महा हिमवंतगिरिमां,, ४ , , देवकुरु क्षेत्रमा । हरिवर्षक्षेत्रमा ,, निषध पर्वतमां , , , घातकीखंडना हिमवंतगिरिमां विशेषाधिक ,, महा हिमवंतगिरिमां ,, ___संख्यातगुण ,,, पुष्कराधना हिमवंतगिरिमा,, रमा " बीजा हिमवंत एटले बीजा धातकी खंडना हिमवतमा एम समजवू तथा आगळ ज्यां त्रीजा आवे त्यां पुष्कराधना समजवा. एम आगळ पण बीजा शब्दवडे घातकीखंड अने त्रीजा शब्द वडे पुष्कराध समजवू. १० तेथी घातकीखंडना निषध पर्वतमां सिद्ध थएल विशेषाधिक ११ , पुष्कराधना महा हिमवतगिरिमां, संख्यातगुणा १२ , घातकीखंडना हैमवत क्षेत्रमा ,, पुष्कराधना निषधगिरिमां विशेषाधिक ,, धातकीखंडना देवकुरु क्षेत्रमा संख्यातगुण १५ , " . हरिवर्ष क्षेत्रमां , पुष्कराधना हैमवत क्षेत्रमा विशेषाधिक १७ , , देवकुरुमा , संख्यातगुण १८ " , हारवर्षे...... १९ , जंपदीपना भरतक्षेत्रमा संख्यातुगुण.
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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