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________________ ( १५४ ) सिद्धपंचाशिका. कुरु, हरिवर्प, निषध एक भरत अने महाविदेहमां अनुक्रमे संख्यात गुणा-बाकीना सरखाने विपे सरखा प्रमाणे. ३३. विवेचन-क्षेत्रद्वारे-अल्पबहुत्व-समुद्रमा सिद्ध थएल थोडा तेथी द्वीपमा संख्यात गुणा... जलसिद्ध थेाडा तेथी स्थळ सिद्ध संख्यात गुणा. ऊर्ध्वलोकमां सिद्ध थएल थोडा, तेथी अधोलोकमां संख्यात गुणा तेथी ती लोकमां संख्यात गुणा. ३१. लवण समुद्रमा सिद्ध थएल थोडा तेथी कालोदधिमां संख्यात गुणा, तेथी जंबुद्वीपमा संख्यात गुणा, तेथी घातकी खंडमां संख्यात गुणा तेथी पुष्कराधमां संख्यात गुणा. ३२. ___ जंबुद्वीपना हिमवंत पर्वतने विषे सिद्ध थएला थोडा तेटलाज शिखरी पर्वतने विषे, तेथी हैमवंत क्षेत्रमा संख्यात गुणा, तेटलाज औरण्यवतमां-तेथी महाहिमवंत पर्वतने विषे संख्यात गुणा, रुप्पिणी पर्वतने विषे तेटलाज. तेथी देवकुरुमां संख्यात गुणा तेटलाज उत्तरकुरुमां, तेथी हरिवर्ष क्षेत्रमा संख्यात गुणा, तेटलाज रम्यक क्षेत्रमा तेथी निषध पर्वतमा संख्यात गुणा तेटलाज नीलवंत पर्वतमा, अहीं ज्या ज्या संख्यातगुणा. कह्या त्या क्षेत्रनुं वाहुल्यपणुं होवाथी तेमज जे जे स्थळे सरखा कह्या त्या त्या क्षेत्रनुं सरखापणुं होवाथी, तेथी भरत क्षेत्रमा संख्यात गुणा, स्वस्थान होवाथी तेटलाज औरवत क्षेत्रमां. तेथी महाविदेहमां संख्यात गुणा सिद्ध थवानो सदा भाव होवाथी तेमज क्षेत्र मोटुं होवाथी. ३३. चुल्ल मह हिमवनिसढे, हेमकुरू हरिसु भारह विदेहे । चउ छठे साहीया, धायइ सेसाउ संखगुणा ॥ ३४ ॥ पुक्खरवरेऽवि एवं, चउत्थठाणमि नवरि संखगुणा । एसुं संहरणेणं, सिज्झंति समा य समगेसु ॥ ३५ ॥
SR No.023119
Book TitlePushpa Prakaran Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages306
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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