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________________ (८) गर्त :- इसका अर्थ सभास्थाणु या सभामंच होता है। यास्कने कई अर्थों में इसका निर्वचन प्रस्तुत किया है- गर्तः सभास्थाणुः सत्यसंगरो भवति' अर्थात् गर्त का अर्थ समामंच होता है जां आने पर सत्य बोलना पड़ता है। इसके अनुसार गर्त शब्द में गृ निगरणे धातुका योग है। यह निर्वचन दाक्षिणात्योंकी संस्कृति पर आधारित है। दक्षिण देशोंमें आश्रयहीन स्त्रियोंको राजाकी ओरसे वित्तीय सहायता प्राप्त होती थी इसके लिए उस स्त्रीको सभामंच पर चढ़ कर सत्य बोलना पड़ता था कि वह आश्रयहीन है या वह पुत्र एवं पतिसे रहित है। उस गर्त पर ही उसे वाणियों से तर्क किए जाते थे तथा अन्तमें वहधन पा लेती थी। गर्तका अर्थ श्मशान भूमि भी होता है- स्मशानसंचयोऽपि गर्त उच्यते। गुरते:! अपगू) भवति इसके अनुसार मर्त शब्द गुरी उद्यमने धातुसे बनता है क्योंकि श्मशान लोक विनाशके लिए सतत उद्यत रहता है। गर्त का अर्थ स्थ भी होता है-स्योऽपिगर्त उच्यते गणाते:। स्तुत तमं यानम् अर्थात् गर्त शब्द स्तुत्यर्थक गृ धातुसे बनता है क्योंकि रथ यान होता है। मृति गत। विभिन्न अर्थों में प्रयुक्त किसी शब्दकी सार्थकता प्रमाणित करनेके लिए यास्क कई धातुओंसे निर्वचन प्रस्तुत करते हैं। अर्थात्मक दृष्टिकोणसे सभी निर्वचन उपयुक्त हैं। माषा विज्ञानके अनुसार गृ धातुसे गर्त शब्द मानना संगत है। व्याकरणके अनुसार गृ +तन् प्रत्यय कर गर्ने शब्द बनाया जा सकता है।4।। (९) श्मशानम् :- इस्क अर्थ होता है वह स्थान जहां शरीरका अन्तिम संस्कार किया जाता है। इसे पितृभूमि भी कहा जाता है। निरुक्तके अनुसार श्मशान श्मशयनम् श्म का अर्थ शरीर होता है उसका शयन अर्थात् जहां पर शरीरों का शयन हो उसे श्मशान कहते हैं। इसमें दो पदखण्ड हैं. प्रथम श्म= शरीर, द्वितीय शानम्। शानम् शयन का वाचक है इस निर्वचनका आधार सांस्कृतिक एवं व्यावहारिक है। इसका ध्वन्यात्मक एवं अर्थात्मक आधार उपयुक्त है। व्याकरणके अनुसार शद शब्दका श्म आदेश कर तथा शयन शब्दका शान आदेशकर इम+शान-मशान बनाया जा सकता है। श्मशान शब्दके उपर्युक्त निर्वचनसे स्पष्ट होता है कि यास्कके समय शवको श्मशान भूमिमें गाड़ा भी जाता था। श्मशानका वाचक गर्त शब्द मी अपूगू) भवति इस निर्वचनसे गद्दाका ही वाचक स्पष्ट होता है। जिसमें शव का शयन कराया जाता होगा। (१०) श्मश्रुः- इसका अर्थ लोम या वाल होता है लेकिन यह मूंछ के अर्थ में २०१ : व्युत्पत्ति विज्ञान और आचार्य यास्क
SR No.023115
Book TitleVyutpatti Vigyan Aur Aacharya Yask
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamashish Pandey
PublisherPrabodh Sanskrit Prakashan
Publication Year1999
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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