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________________ चतुर्थोऽध्यायः 55 लाल वर्ण का एक मंडल वाला परिवेष दिखलाई पड़े तो निश्चयत: अधिक वर्षा होती है । नदी-नाले जल से भर जाते हैं। श्रावण के महीने में वर्षा की कुछ कमी रहती है, फिर भी फसल उत्तम होती है। यदि इसी तिथि को मध्य रात्रि के उपरान्त परिवेष दो मंडल वाला दिखलाई पड़े तो वर्षा का अभाव, कृषि में गड़बड़ी और सभी प्रकार की फसलों में रोगादि लग जाते हैं । चतुर्थी तिथि को चन्द्रोदय के साथ ही परिवेष दिखलाई पड़े तो फसल उत्तम होती है और वर्षा भी समयानुकूल होती है, यदि इसी दिन चन्द्रोदय के चार-पाँच घड़ी उपरान्त परिवेष दिखलाई पढ़े तो वर्षा का भादों मास में अभाव ही समझना चाहिए। उपर्युक्त प्रकार का परिवेष फसल के लिए भी अनिष्टकारक होता है। __ आषाढ़ कृष्ण पंचमी, षष्ठी और सप्तमी को चन्द्रास्त काल में विचित्र वर्ण का परिवेष दिखलाई पड़े तो निश्चयतः अल्प वर्षा होती है । अष्टमी तिथि को चन्द्रोदय काल में ही परिवेष दिखलाई पड़े तो वर्षा प्रचुर परिमाण में तथा फसल उत्तम होती है। अष्टमी के उपरान्त कृष्ण पक्ष की अन्य तिथियों में अस्त या उदय काल में चन्द्र परिवेष दिखलाई पड़े तो वर्षा की कमी ही समझनी चाहिए। फसल भी सामान्य ही होती है । आषाढ़ शुक्ला द्वितीया को चन्द्रोदय होते ही परिवेष घेर ले तो अगले दिन नियमत: वर्षा होती है । इस परिवेष का फल तीन दिनों तक लगातार वर्षा होना भी है । आषाढ़ शुक्ला तृतीया को चन्द्रोदय के तीन घड़ी भीतर ही विचित्र वर्ण का परिवेष चन्द्रमा को घेर ले तो नियमतः अगले पाँच दिनों तक तेज धूप पड़ती है, पश्चात् हल्की वर्षा होती। आषाढ़ शुक्ला चतुर्थी को चन्द्रोदय काल में ही परिवेष रक्त वर्ण का हो तो आषाढ़ मास में सूखा पड़ता है और श्रावण में वर्षा होती है। आषाढ़ी पूर्णिमा को लाल वर्ण का परिवेष दिखलाई पड़े तो यह सुभिक्ष का सूचक है, इस वर्ष वर्षा विशेष रूप से होती है । फसल भी अच्छी होती है। अन्न का भाव भी सस्ता रहता है। श्रावण कृष्ण प्रतिपदा को मध्य रात्रि में चन्द्रमा का परिवेष दिखलाई पड़े तो अगले आठ दिनों में वर्षा का अभाव समझना चाहिए। यदि यह परिवेप श्वेत वर्ण का हो तो श्रावण भर वर्षा नहीं होती। कड़ाके की धूप पड़ती है, जिससे अनेक प्रकार की बीमारियाँ भी फैलती हैं। उदयकालीन चन्द्रमा को श्रावण कृष्ण द्वितीया के दिन परिवेष वेष्टित करे तो वर्षा अच्छी होती है । किन्तु गुर्जर, द्राविड़ और महाराष्ट्र में वर्षा का अभाव सूचित होता है । वर्षा ऋतु में ग्रहों और नक्षत्रों की जिस दिशा में परिवेष हो उस दिशा में वर्षा अधिक होती है, फसल भी अच्छी होती है । श्रावण कृष्णा सप्तमी को उदय काल में चन्द्र परिवेष दिखाई पड़े तो वर्षा सामान्यतः अल्प समझनी चाहिए । यदि प्रातःकाल चन्द्रास्त के समय ही परिवेष दिखलाई पड़े तो वर्षा
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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