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________________ 56 भद्रबाहुसंहिता अगले पाँच दिनों में खूब होती है। यदि त्रिकोण परिवेष श्रावण कृष्णा तृतीया को दिखलाई पड़े तो वर्षा का अभाव, दुर्भिक्ष और उपद्रव समझना चाहिए । नक्षत्रों का भी परिवेष होता है। श्रावण मास में नक्षत्रों का परिवेष हो तो वर्षा का अभाव उस देश में अवगत करना चाहिए । यदि श्रावण मास की किसी भी तिथि में चन्द्र परिवेष चन्द्रोदय से लेकर चन्द्रास्त तक बना रहे तो श्रावण और भाद्रपद इन दोनों ही महीनों में वर्षा का अभाव रहता है । आश्विन मास में किसी भी तिथि को चन्द्रोदय काल या चन्द्रास्त काल में चक्रपरिवेष दिखलाई पड़े तो वह फसल के लिए अच्छाई की सूचना देता है । वर्षा कम होने पर भी फसल अच्छी उत्पन्न होती है । ज्येष्ठ, वैशाख और चैत्र महीने का परिवेष घोर दुर्भिक्ष की सूचना देता है। इन तीनों महीनों में चन्द्रोदय काल में या चन्द्रास्त काल में परिवेष दिखलाई पड़े तो फसल के लिए अत्यन्त अनिष्टकारक समझना चाहिए । उक्त महीनों की प्रतिपदाविद्ध पूर्णिमा को परिवेष दिखलाई पड़े तो वर्षा के लिए उस वर्ष हाहाकार होता रहता है। बादल आकाश में व्याप्त रहते हैं, पर वर्षा नहीं होती । तृण और घास की भी कमी होती है जिससे पशुओं को भी कष्ट होता है । द्वितीयाविद्ध प्रतिपदा को परिवेष हो तो साधारण वर्षा होती है। द्वितीयाविद्ध पूर्णिमा में चन्द्र परिवेष दिखलाई पड़े तो उस वर्ष निश्चयतः सूखा पड़ता है । कुंओं का पानी भी सूख जाता है । फसल का अभाव ही उस वर्ष रहता सूर्य परिवेष का फल –यदि सूर्योदय काल में ही सूर्य परिवेष दिखलाई पड़े तो साधारणतः वर्षा होने की सूचना देता है । मध्याह्न में परिवेष सूर्य को घेरकर मंडलाकार हो जाय तो आगामी चार दिनों में घोर वर्षा की सूचना देता है । इस प्रकार के परिवेष से फसल भी अच्छी होती है । सूर्य के परिवेष द्वारा प्रधान रूप से फसल का विचार किया जाता है । यदि किसी भी दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक परिवेष बना रह जाय तो घोर दुर्भिक्ष का सूचक समझना चाहिए । दिन भर परिवेष का बना रह जाना वर्षा का अवरोधन भी करता है तथा अनेक प्रकार की विपत्तियों की भी सूचना देता है । वर्षा ऋतु में सूर्य का परिवेष प्रायः वर्षा सूचक समझा जाता है । वैशाख और ज्येष्ठ इन महीनों में यदि सूर्य का परिवेष दिखलाई पड़े तो निश्चयतः फसल की बरबादी का सूचक होता है । उस वर्ष वर्षा भी नहीं होती और यदि वर्षा होती है तो इतनी अधिक और असामयिक होती है, जिससे फसल मारी जाती है। इन तीनों महीनों का सूर्य का परिवेष मंगलवार, शनिवार और रविवार इन तीन दिनों में से किसी दिन हो तो संसार के लिए महान् भयकारक, उपद्रवसूचक और दुर्भिक्ष की सूचना समझनी चाहिए । सूर्य का परिवेष यदि आश्लेषा, विशाखा और भरणी इन नक्षत्रों में हो तथा सूर्य
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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