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________________ 54 भद्रबाहुसंहिता से चन्द्रमा के परिवेष से किया जाता है और कृषि सम्बन्धी विचार के लिए सूर्य परिवेष का अवलम्बन लिया जाता है। यद्यपि दोनों ही परिवेष उभय प्रकार के फल की सूचना देते हैं, फिर भी विशेष विचार के लिए पृथक् परिवेष को ही लेना चाहिए। ___ चन्द्रमा का परिवेष कपोत रंग का हो और उसमें अधिक से अधिक दो मण्डल हों तो लगातार सात दिनों तक वर्षा की सूचना समझनी चाहिए। इस प्रकार का परिवेष फसल की उत्तमता की सूचना भी देता है। वर्षा ऋतु में समय पर वर्षा होती है। आश्विन और कात्तिक में भी वर्षा होने से धान्य की उत्पत्ति अच्छी होती है । यदि उक्त प्रकार के परिवेष के समय चन्द्रमा का रंग श्वेत वर्ण हो तो माघ मास में भी वर्षा होने की सूचना समझ लेनी चाहिए। कदाचित् चन्द्रमा का रंग नीला या काला दिखलाई पड़े तो निश्चय से अच्छी वर्षा होने की सूचना समझनी चाहिए । चन्द्रमा के नीले या काले होने से सुभिक्ष भी होता है। गेहूँ, धान और गुड़ की फसल अच्छी उत्पन्न होती है। काले रंग के चन्द्रमा के होने से आश्विन मास में वर्षा का दस दिनों तक अवरोध रहता है, जिससे धान की फसल में कमी आती है। चन्द्रमा हरित वर्ण का मालूम हो और परिवेष दो मंडलों के घेरे में हो तो वर्षा सामान्य ही होती है, पर फसल अच्छी ही उत्पन्न होती है । चन्द्रमा जिस समय रोहिणी नक्षत्र के मध्य में स्थित हो, उसी समय विचित्र वर्ण का परिवेष रात्रि के मध्य भाग में दिखलाई पड़े तो इस प्रकार के परिवेष द्वारा देश की उन्नति की सूचना समझनी चाहिए। देश में धन-धान्य की उत्पत्ति प्रचुर रूप में होती है, वर्षा भी समय पर होती है तथा देश में सर्वत्र सुभिक्ष व्याप्त रहता है। चन्द्रमा का परिवेष रक्त वर्ण का दिखलाई पड़े और चन्द्रमा का रंग श्वेत या कपोत हो तथा एक ही मंडल वाला परिवेष हो तो वर्षा आषाढ़ में नहीं होती, श्रावण, भाद्रपद में अच्छी वर्षा और आश्विन में वर्षा का अभाव ही रहता है । फसल भी उत्पन्न नहीं होती। यदि आषाढ़ मास में चन्द्रमा का परिवेष सन्ध्या समय ही दिखलाई पड़े तो श्रावण में धूप होती है, वर्षा का अभाव रहता है। आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा को सन्ध्या काल में चन्द्रमा का परिवेष दो मंडलों में दिखलाई पड़े तो वर्षा का अभाव, एक मंडल में रक्त वर्ण का परिवेष दिखलाई दे तो साधारण वर्षा, एक मंडल में ही श्वेत वर्ण और हरित वर्ण मिश्रित परिवेष दिखलाई दे तो प्रचुर वर्षा, तीन मंडल में परिवेप दिखलाई दे तो दुष्काल, वर्षा का अभाव और चार मंडल में परिवेष दिखलाई पड़े तो फसल में कमी और दुभिक्ष, वर्षा ऋतु के चारों महीनों अल्पवृष्टि और अन्न की कमी होती है । आपाढ़ कृष्ण द्वितीया को चन्द्रोदय होते हरित और रक्त वर्ण मिश्रित परिवेष दिखलाई पड़े तो पूरी वर्षा होती है । तृतीया को चन्द्रोदय के तीन घड़ी बाद यदि
SR No.023114
Book TitleBhadrabahu Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Jyotishacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages620
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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